देश की मिट्टी से उपजा पतंजलि गुलाब शरबत सिर्फ एक शरबत नहीं, बल्कि विकास की नई सीढ़ी बन चुका है। यह यात्रा केवल स्वाद या सेहत तक सीमित नहीं रही बल्कि इसने गांवों में रोजगार, स्थानीय कृषि को प्रोत्साहन और भारत के स्वदेशी इंडस्ट्री को वैश्विक मंच पर पहुंचाने में भी अहम भूमिका निभाई है। इस शरबत की खासियत सिर्फ स्वाद और खुशबू से नहीं है, बल्कि इसकी बिक्री से होने वाली कमाई का एक बड़ा हिस्सा देश के बच्चों की शिक्षा के लिए जाता है। आचार्य बालकृष्ण और बाबा रामदेव द्वारा स्थापित की गई कंपनी है, जो स्वदेशी प्रोडक्ट्स की मदद से ग्लोबल स्तर पर विकास कर रही है।
प्राकृतिक प्रक्रिया से निर्माण
इस शरबत की शुरुआत हरिद्वार स्थित पतंजलि आयुर्वेद के प्लांट से हुई, जहां इसका प्रोडक्शन पूरी तरह से नेचुरल गुलाब की पंखुड़ियों से किया जाता है। इन पंखुड़ियों की खरीद ग्रामीण क्षेत्रों के किसानों से होती है, जिससे बिचौलियों की भूमिका में कटौती होती है। ऐसे किसानों को बेहतर मूल्य भी मिल पाता है। इस प्रक्रिया ने गांवों में लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर खोले हैं। पतंजलि के उद्देश्य से महिला सशक्तिकरण को भी बढ़ावा दिया गया है, क्योंकि कई स्थानों पर महिलाएं गुलाब की खेती करती हैं।
इंटरनेशनल बाजार में बिक्री मजबूत
पतंजलि ने अपने मजबूत वितरण नेटवर्क के जरिए गुलाब शरबत को भारत के कोने-कोने तक पहुंचाया और फिर इसे इंटरनेशनल मार्केट में भी उतारा है। सिर्फ गुलाब शरबत ही नहीं, पतंजलि के अन्य उत्पाद भी खाड़ी देशों, अमेरिका, यूरोप और अफ्रीका में निर्यात किए जा रहे हैं।
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शिक्षा क्षेत्र में विकास
पतंजलि समाज के हर क्षेत्र में बदलाव की प्रेरणा बन चुका है। पतंजलि गुलाब शरबत की सफलता सिर्फ आर्थिक लाभ तक सीमित नहीं रही, बल्कि इस प्रोडक्ट की बिक्री से होने वाली आय को देश की शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने में भी लगाया जाएगा। कंपनी ने इस प्रोडक्ट के माध्यम से पिछले 3 सालों में काफी मुनाफा कमाया है। बिक्री के पैसों का इस्तेमाल चैरिटी और ग्रामीण क्षेत्रों तक शिक्षा पहुंचाने के काम में लगाया गया है।
कंपनी का संकल्प
पतंजलि आयुर्वेद संस्था और आचार्य बालकृष्ण तथा बाबा रामदेव के नेतृत्व में यह सुनिश्चित किया गया कि उत्पाद की बिक्री से होने वाली कमाई को व्यापार से हटकर देश सेवा और शिक्षा में लगाया जाएगा। गुलाब शरबत जैसे लोकप्रिय पेय प्रोडक्ट से होने वाली आय का बड़ा हिस्सा पतंजलि योगपीठ और आचार्यकुलम जैसी शैक्षणिक संस्थाओं को मिलेगा, जहां हजारों बच्चों को संस्कारी, वैज्ञानिक और आधुनिक शिक्षा दी जा रही है।
इस पूरी यात्रा ने दिखाया कि जब देशी उत्पादों को सही मंच और दिशा मिलती है, तो वे न सिर्फ बाजार में टिकते हैं, बल्कि राष्ट्रीय विकास में भी योगदान देते हैं। पतंजलि गुलाब शरबत की कहानी इस बात का सबूत है कि गांव की जड़ों से जुड़े उत्पाद भी ग्लोबल पहचान बना सकते हैं।
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