Joshimath Sinking: उत्तराखंड के जोशीमठ में जमीन धंसाव को देखते हुए कई एहतियाती कदम और राहतकार्य किए जा रहे हैं। सरकार की ओर से प्रभावित लोगों और उनके प्रवास के अलावा कई कार्य किए जा रहे हैं। ऐसे में एक रिपोर्ट ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि जोशीमठ वर्ष 2018 से अभी तक 10 सेंटीमीटर प्रति वर्ष धंस रहा है।
70% लोग जी रहे सामान्य जीवनः सीएम
समाचार एजेंसी एएनआई की ओर से बताया गया है कि उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने प्रभावित जोशीमठ में किए जा रहे राहत कार्यों की ताजा जानकारी लेने के लिए अधिकारियों के साथ एक समीक्षा बैठक की। सीएम धामी ने बताया कि जोशीमठ में 65-70% लोग सामान्य जीवन जी रहे हैं।
65-70% of the people in Joshimath are living normal life. Char Dham Yatra will begin in the next 4 months. Central govt keeps taking updates from the state government on the real-time situation in Joshimath: Uttarakhand CM Pushkar Singh Dhami pic.twitter.com/KkZ2JMJafA
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) January 19, 2023
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4 महीने बाद विधिवत शुरू होगी चार धाम यात्रा
इसके अलावा उन्होंने कहा कि चार धाम यात्रा अगले 4 महीने में विधिवत शुरू होगी। केंद्र सरकार जोशीमठ की वास्तविक स्थिति पर राज्य सरकार से लगातार अपडेट ले रही है। बता दें कि हाल ही कई मीडिया रिपोर्ट में कहा गया था कि बद्रीनाथ यात्रा में जोशीमठ एक अहम पड़ाव है, लेकिन यहां प्राकृतिक आपदा के कारण संकट खड़ा हो गया है।
प्रभावित लोगों की ले रहे हैं रायः डीएम
चमोली के जिलाधिकारी हिमांशु खुराना ने एएनआई को बताया कि जोशीमठ की मौजूदा स्थिति को देखते हुए, हम पुनर्वास के संबंध में प्रभावित परिवारों के सुझाव और राय मांग रहे हैं। हम उनके सुझाव इसलिए भी चाहते हैं, ताकि हम उन्हें अच्छी तरह और तरीके से दोबारा बसाया जा सके।
2018 से अब तक के डेटा का अध्ययन
इसी बीच एक स्टडी रिपोर्ट में बताया गया है कि जोशीमठ 2018 के बाद से हर साल 10 सेमी धंस रहा है। रिमोट सेंसिंग तकनीकों में विशेषज्ञता रखने वाले ग्रीस के एक शैक्षिक संस्थानों की ओर से किए गए संयुक्त विश्लेषण और अध्ययन से पता चलता है कि पिछले चार वर्षों की अवधि में जोशीमठ क्षेत्र धंस रहा है।
इन दो संस्थानों के विशेषज्ञों ने किया विश्लेषण
थेसालोनिकी के अरिस्टोटल विवि (एयूटीएच) और सीएनआरएस-ईओएसटी (सेंटर नेशनल डे ला रीचर्चे साइंटिफिक/स्ट्रासबर्ग विश्वविद्यालय) ने भूस्खलन विशेषज्ञों की ओर से किए गए एक विश्लेषण को प्रकाशित किया है। बताया गया है कि इस अध्यययन में पिछले 4 वर्षों की अवधि में जोशीमठ में गुरुत्वाकर्षण अस्थिरता के संकेत दिखाई दिए हैं।
जोशीमठ संटक के लिए ये कारण हैं जिम्मेदार
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस भूस्खलन के लिए जिम्मेदार भूगर्भीय संरचनाएं काफी जटिल हैं। रिपोर्ट में स्पष्ट है कि क्षेत्र एक पुराना भूस्खलन परिसर है। इसके अलावा जोशीमठ में तेजी से हुए विकास, उचित जल निकासी और उत्खनन गतिविधियों पर ध्यान देने की कमी के साथ सामने आ रहे हैं।
अस्थिर मिट्टी पर होता रहा विकास कार्य
एयूटीएच और सीएनआरएस-ईओएसटी ने जनवरी 2018 से 31 दिसंबर 2022 के बीच जोशीमठ के एक बड़े क्षेत्र में धंसाव की समय श्रृंखला का गहन अध्ययन किया। इसके बाद अपनी समेकित रिपोर्ट में कहा कि यह शहर खड़ी ढलानों पर स्थित है। कई दशकों से अस्थिर मिट्टी पर बनाया गया है।