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Joshimath Land Subsidence: जोशीमठ पर कुदरत की दोहरी मार, धरती फाड़ कर निकल रहा पानी, ऊपर से हाड़ कंपाऊ ठंड

Joshimath Land Subsidence: उत्तराखंड (Uttarakhand) का जोशीमठ (Joshimath) कुदरत की दोहरी मार झेल रहा है। मकानों में दरारें बढ़ती जा रही हैं। धरती को फाड़कर पानी निकल रहा है। लोग बेघर हैं। ऐसे में पहाड़ों पर पड़ रही हाड़ कंपा देने वाली ठंड ने लोगों की परेशानी को कई गुना कर बढ़ा दिया है। वहीं […]

Edited By : Naresh Chaudhary | Updated: Jan 9, 2023 19:10
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Joshimath Land Subsidence: उत्तराखंड (Uttarakhand) का जोशीमठ (Joshimath) कुदरत की दोहरी मार झेल रहा है। मकानों में दरारें बढ़ती जा रही हैं। धरती को फाड़कर पानी निकल रहा है। लोग बेघर हैं। ऐसे में पहाड़ों पर पड़ रही हाड़ कंपा देने वाली ठंड ने लोगों की परेशानी को कई गुना कर बढ़ा दिया है। वहीं प्रशासन ने अब इमारतों पर लाल निशान लगाना शुरू कर दिया है।

धरती से रिस रहा इस तरह का पानी

जानकारी के मुताबिक जोशीमठ में कुल 4,500 इमारतें हैं। इनमें से 610 में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ चुकी हैं। जो अब रहने लायक नहीं बचींं। कई इमारतों फर्श को फाड़ कर भूरा मटमैला पानी रिस रहा है।

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शहर की एक बड़ी आबादी अपने घरों को छोड़ने के लिए मजबूर है। इन बेघर लोगों को इस ठंडे मौसम में बाहर सोने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। स्थानीय लोगों ने आरोप है कि उन्होंने महीनों पहले इस स्थिति के बारे में अधिकारियों को चेतावया था।

जोशीमठ के बारे में क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि जानकारों ने जोशीमठ कस्बे में जमीन धंसने की चेतावनी दशकों पहले जारी की गई थी। हालांकि इसे नजरअंदाज कर दिया गया था। चूंकि बहुत सारे विकास कार्य किए गए हैं, इसलिए अब कमजोर इमारतों का अनुमान लगाना महत्वपूर्ण है।

जोशीमठ भूमि धंसने के कारण 

मीडिया रिपोर्ट के मानें तो जोशीमठ में नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन के तपोवन विष्णुगाड हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट का काम चल रहा है। यह काम जमीन के अंदर चल रहा है, जिसके कारण कंपन पैदा हो रहा है। जानकारों की मानें तो जोशीमठ की इस आपदा के लिए इसे जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। इसकी वजह से कई इलाकों में जमीन का पानी सतह से पानी निकला है। हालांकि सटीक कारणों का अभी भी अध्ययन किया जा रहा है और न्यूज24 इस बात की पुष्टि नहीं करता है।

खोखली हो गई है जमीन, हो रहा अध्ययन

विशेषज्ञों का कहना है कि जोशीमठ खोखली धरती पर स्थित है। कस्बे की जमीन बहुत ज्यादा मजबूत नहीं है, जिसके कारण घरों और अन्य इमारतों में बड़ी दरारें आ गई हैं। स्थिति का बेहतर आकलन करने के लिए, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA), राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, आईआईटी रुड़की, वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान, राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान और केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान के विशेषज्ञों की एक टीम ने जोशीमठ की स्थिति का अध्ययन कर रही हैं।

यहां पैनल रिपोर्ट ने क्या सुझाव दिया है?

  • कस्बे के कई क्षेत्रों में जमीन मजबूत नहीं है। कह सकते हैं कि जमीन खोखली है। इसके कारण भूमि धंस रही है।
  • कुछ जगहों पर उबड़-खाबड़ जमीन होने के कारण भवनों की नींव मजबूत नहीं है।
  • पैनल के सदस्यों को मनोहरबाग, सिंहधर और मारवाड़ी इलाकों में नई दरारें मिली हैं। टीम को आलोकानंद नदी के तट पर एक कटाव भी मिला है, जिसके कारण जमीन डूब रही है।
  • पैनल ने रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि प्रभावित क्षेत्रों की मिट्टी का परीक्षण किया जाना चाहिए और मामले की वास्तविक समय पर जांच की जानी चाहिए।
  • चूंकि प्रभावित क्षेत्रों में स्थानीय लोगों को पहले से ही अन्य स्थानों पर स्थानांतरित किया जा रहा है, इसलिए जिन इमारतों में दरारें आ गई हैं, उन्हें समय पर ध्वस्त कर दिया जाना चाहिए।

पूर्व सीएम रावत बोले- कभी भी डूब सकता है शहर

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने बताया कि जोशीमठ में स्थिति चिंताजनक है। पूरा ढांचा कभी भी गिर सकता है। प्रकृति चेतावनी देती रही है और सरकार इन चेतावनियों को गंभीरता से नहीं ले रही है। जोशीमठ को स्थानांतरित करना एकमात्र रास्ता है। मौजूदा जोशीमठ की मरम्मत की जानी चाहिए।

प्राकृतिक आपदा के रूप में मानना चाहिए

उन्होंने कहा कि जोशी के डूबने का कारण एनटीपीसी सुरंग और चार धाम के लिए अन्य निर्माण परियोजनाएं हैं। उन्हें रोका जाना चाहिए और इस स्थिति को प्राकृतिक आपदा के रूप में माना जाना चाहिए। प्रभावित निवासियों को बद्रीनाथ और केदारनाथ की तरह राहत सहायता दी जानी चाहिए।

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Written By

Naresh Chaudhary

First published on: Jan 09, 2023 04:16 PM

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