Joshimath Sinking: उत्तराखंड (Uttrakhand) का जोशीमठ (Joshimath) प्रकृति की दर्दनाक मार झेल रहा है। यहां अब तक 700 से ज्यादा घरों में दरारें आ चुकी हैं। इनमें कई होटल भी शामिल हैं। जांच के बाद उत्तराखंड शासन ने होटल मलारी इन के साथ और भी कई इमारतों को ध्वस्त करने का आदेश दिया है, क्योंकि ये अब रहने लायक नहीं रह गया है, लेकिन स्थानीय लोगों के विरोध को देखते हुए इसे तोड़ने का काम बंद कर दिया गया है।
मेरा विरोध होटल तोड़ने को लेकर नहीं…
होटल के मालिक ठाकुर सिंह राणा ने कहा कि मैं होटल की इमारत तोड़े जाने का विरोध नहीं कर रहा हूं, बल्कि सरकार से उचित मुआवजे की मांग कर रहा हूं। उन्होंने कहा कि मैं मांग कर रहा हूं कि बद्रीनाथ में विकास परियोजनाओं के दौरान दिए गए मुआवजे की तरह मुझे भी मुआवजा दिया जाए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार बिल्कुल सहयोग नहीं कर रही है। मैं यहां तब तक बैठा रहूंगा, जब तक मेरी जान नहीं चली जाती है।
Uttarakhand | Protesters demonstrate against the National Thermal Power Corporation (NTPC) related constructions near the Joshimath area following incidents of land subsidence pic.twitter.com/iiLXC8OnGL
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) January 10, 2023
---विज्ञापन---
सीडीओ ने लोगों से की मुलाकात
इसके अलावा जोशीमठ क्षेत्र के पास नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन (एनटीपीसी) से संबंधित निर्माण के खिलाफ भी स्थानीय लोगों ने जमकर प्रदर्शन किया। जोशीमठ नगर निगम अध्यक्ष शैलेंद्र पवार ने बताया कि डीएम के प्रतिनिधि के रूप में सीडीओ यहां पहुंचे थे। उन्होंने उनसे बात की है और कहा, कि कल सुबह 9.30 बजे बैठक होने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
लोगों का आरोप, नहीं मिल रहा मुआवजा
शैलेंद्र पवार ने बताया कि यहां कुछ होटलों को गिराने की कार्रवाई की जा रही थी। उस समय होटल मालिकों ने नाराजगी जताई थी। कहा था कि जब तक उन्हें होटलों की कीमत का आश्वासन नहीं दिया जाता, तब तक होटलों को नहीं तोड़ा जाए।
सीएम से मिले कांग्रेसी
मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से बताया गया है कि उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष करण मेहरा के नेतृत्व में कांग्रेस के कई नेताओं ने कैंप कार्यालय में सीएम पीएस धामी से मुलाकात की। उन्होंने जोशीमठ में भूस्खलन की स्थिति के बाद राहत और बचाव कार्यों के संबंध में मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा। बता दें कि मंगलवार को अपनी गाढ़ी कमाई से बनाए मकानों को खाली करते समय लोगों की आंखों से आंसू निकल पड़े।