UP News: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की जेलों में बंद खूंखार और दुर्दांत अपराधी अब बाहरी दुनिया को देखने के लिए तरस जाएंगे, क्योंकि राज्य सरकार ने सोमवार एक बड़ा फैसला लिया है। अब वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ही इन बदमाशों पर चल रहे मुकदमों की सुनवाई हुआ करेगा। उन्हें जेलों से अदालतों तक नहीं ले जाना पड़ेगा। इस फैसले के पीछे सरकार की एक कई मंशाएं हैं।
प्रदेश की 72 जेलों के लिए जारी हुआ आदेश
सोमवार को प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को राज्यभर की 72 जेलों और 73 अदालतों में अतिरिक्त वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधाएं सुनिश्चित करने का निर्देश जारा किया है। बता दें कि वर्तमान में सिर्फ अपराधियों की रिमांड कार्यवाही ही वर्चुअली की जाती है।
इन आशंकाओं पर लगेगा अंकुश
महानिदेशक (कारागार) आनंद कुमार ने गैंगस्टरों का वर्चुअल ट्रायल करने के लिए राज्य सरकार से अनुमति मांगी थी। सोमवार को एक बैठक की अध्यक्षता करते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ ने सभी जेल से अपराधियों और गैंगस्टरों के मुकदमों की सुनवाई पर जोर दिया। जेल महानिदेशक ने बताया कि वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से 100% रिमांड और विचाराधीन कैदियों के भागने की घटनाओं पर भी अंकुश लगेगा।
इतनी जेलें हैं उत्तर प्रदेश में, मिलेगी ये मदद
उन्होंने कहा कि इससे गवाहों को धमकी देने वाले अपराधियों की जांच करने और अदालत में पेशी के दौरान सहयोगियों की मदद से अप्रत्यक्ष अपराधों को अंजाम देने की साजिश में भी कमी आएगी। जेल महानिदेशक ने बताया कि राज्य में 72 जेलें संचालित हैं। इनमें से 62 जिला जेल, सात केंद्रीय कारागार, एक नारी बंदी निकेतन, एक आदर्श जेल और एक किशोर सदन हैं। राज्य की 73 अदालतों में विचाराधीन कैदियों की रिमांड और ट्रायल की कार्यवाही इसी से होती है।
इसलिए की गई थी मांग
सभी जेलों और अदालतों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए रिमांड की कार्यवाही करने के लिए एक-एक कमरा है, लेकिन बड़ी संख्या में बंदियों के कारण रिमांड मामलों की सुनवाई में पूरा दिन लग जाता है। इसलिए सरकार को एक पत्र लिखा गया था, जिसमें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपराधियों के परीक्षण के लिए राज्यभर की सभी जेलों और अदालतों में एक अतिरिक्त वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग रूम बनाने की मांग की गई थी।