उत्तर प्रदेश में वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे का काम किया जा रहा है। इस एक्सप्रेसवे के काम में अभी पश्चिम सेक्शन के निर्माण में परेशानी आ रही है। इस सेक्शन के काम को अब अनिश्चित काल के लिए रोक दिया गया है, क्योंकि पश्चिम बंगाल राज्य सरकार भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में सहयोग नहीं कर रही है। ताजा जानकारी के मुताबिक, एक्सप्रसेवे का निर्माण अब केवल झारखंड के रांची तक ही किया जाएगा। यह एक्सप्रेसवे बिहार से होता हुआ, वाराणसी से झारखंड की सीमा तक ही बनाया जाएगा। जानिए इसके बनने से किन राज्यों को फायदा होगा और कितने पैकेज में इसका काम होना है?
क्यों नहीं बन रही सड़क?
पश्चिम बंगाल सड़क बनाने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है, जिसकी वजह से अब यूपी सरकार ने फैसला लिया है कि यह सड़क यूपी से झारखंड तक ही बनाई जाएगी। 6 लेन वाले इस एक्सप्रेसवे को लेकर केंद्रीय सड़क एवं परिवहन राजमार्ग मंत्रालय ने जानकारी दी है। अगर यह एक्सप्रेसवे पूरा बनता, तो इस पर सफर करने से वाराणसी से कोलकाता की दूरी 14 घंटे के बदले मात्र सात घंटे रह जाएगी। इसके अलावा, यूपी, झारखंड, पश्चिम बंगाल और बिहार के बीच व्यापार को भी बढ़ावा मिलेगा।
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एक्सप्रेसवे का कितना हिस्सा किस राज्य में?
इस एक्सप्रेसवे का उत्तर प्रदेश में 22 किलोमीटर का हिस्सा है। वहीं, बिहार में 161 किलोमीटर, झारखंड में 202 किलोमीटर और पश्चिम बंगाल में 285 किलोमीटर का हिस्सा है। इस एक्सप्रेसवे की कुल लंबाई 672 किलोमीटर है। बिहार में यह सड़क कुटुम्बा, इमामगंज, संग्रामपुर होते हुए झारखंड के हंटरगंज तक पहुंचेगी। इसके अलावा, झारखंड में यह सड़क चतरा, पत्थलगढ़ा, सेमरिया, चुरचू, पेटरवार, कसमार, जयपुर, पुरुलिया, पुंछा, तलडंगरा, गहरबेटा और घाटल होते हुए पश्चिम बंगाल में बगनान के पास NH16 पर खत्म होगी।
बिहार में इस एक्सप्रेसवे का काम 7 पैकेज में किया जाएगा। अभी कुछ पैकेज के लिए जिन लोगों से जमीन खरीदनी है, उनकी मांगों की वजह से काम रुका हुआ है। वहीं, पैकेज 4 में एक टनल का निर्माण किया जाना है, जिसके लिए वन विभाग की तरफ से मंजूरी मिलनी बाकी है। 18 शहरों से होकर गुजरने वाले इस एक्सप्रेसवे के निर्माण में 35 हजार 228 करोड़ का खर्च आने का अनुमान है।
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