अभिषेक दुबे, वाराणसी।
सपा नेता हरीश मिश्रा सोमवार की शाम वाराणसी जिला जेल चौकाघाट से रिहा कर दिए गए। उन्हें गैर इरादतन हत्या के मामले में सिगरा थाने की पुलिस ने जेल भेजा था। 12 अप्रैल को उनके घर के पास करणी सेना के उपासक अविनाश मिश्रा ने उनपर हमला किया था। इसके बाद हुई मारपीट में अविनाश मिश्रा को सिर में चोट लगी थी। इस मामले में हुए मेडिकल के आधार पर पुलिस ने हरीश मिश्रा को गैर इरादतन हत्या के मामले में जेल भेज दिया था। जेल से रिहाई के दौरान सपा नेताओं ने उनका जोरदार स्वागत किया।
क्या कहा हरीश मिश्रा ने?
जेल से रिहा होन के बाद हरीश मिश्रा ने कहा कि समाज के लोगों की दुआओं से आज बाहर हूं और अन्याय और अत्याचार के खिलाफ मेरी लड़ाई अब और तेज होगी। उन्होंने कहा कि यह मेरी नहीं बल्कि समाज और सच्चाई की जीत है। अन्याय के लिए आवाज उठाने के लिए चाहे जितनी भी कुर्बानी देनी होगी, हम उसके लिए तैयार हैं। उन्होंने कार्यकर्ताओं का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि जेल में उनके समर्थकों और आम जनता की दुआओं ने उन्हें लड़ने का बल दिया। हरीश मिश्रा को लेने के लिए सपा जिलाध्यक्ष सुजीत यादव लक्कड़ के अगुवाई में सैकड़ों सपा कार्यकर्ताओं का हुजूम जिला जेल पहुंचा था। लोगों ने जमकर नारेबाजी की। इसके बाद लग्जरी कार में सवार होकर हरीश मिश्रा घर की तरफ रवाना हुए। बता दें की हरीश मिश्रा से सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने फोन पर बात की थी और उनका कुशलक्षेम जाना था।
क्या है पूरा मामला?
12 अप्रैल को सिगरा थाना क्षेत्र में सपा नेता हरीश मिश्रा की करणी सेना के सदस्यों अविनाश मिश्रा और स्वास्तिक उपाध्याय के साथ मारपीट हुई थी। इस मामले में हरीश मिश्रा ने कहा था कि करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने उन पर हमला किया था, जबकि दोनों गंभीर युवकों ने सपा नेता हरीश मिश्रा और उनके समर्थकों पर मारपीट करने का आरोप लगाया था। मारपीट के दौरान हरीश मिश्रा और करणी सेना के दो सदस्य गंभीर रूप से घायल हो गए थे।
दोनों पक्षों ने दर्ज कराई थी FIR
दोनों पक्षों की ओर से एक-दूसरे के खिलाफ सिगरा थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। पुलिस ने जांच के बाद हरीश मिश्रा को भारतीय दंड संहिता की धारा 109, 115(2), 191(2), और 352 के तहत नामजद करते हुए उन्हें उपचार के दौरान अस्पताल से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। बीते दिनों अदालत में अविनाश मिश्रा की ओर से कोर्ट में सीसीटीवी फुटेज और आरोपी का आपराधिक इतिहास तलब करने की अपील की गई थी। जिस पर हरीश मिश्रा के अधिवक्ता ने आपत्ति जताई थी। इसके बाद अदालत ने इस मामले में पुलिस द्वारा जुटाए गए साक्ष्य और केस डायरी के आधार पर जमानत अर्जी पर सुनवाई करने का आदेश दिया था।