Noida News: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के नोएडा में ग्रेटर नोएडा (Greater Noida) के सीईओ (CEO) की गिरफ्तारी का आदेश दिया गया है। यह कार्रवाई एक आदेश का पालन करने में देरी पर की गई है। साथ ही उन पर 2,000 रुपये का जुर्माना और सजा का भी प्रावधान है।
हालांकि फोरम (Consumer Forum) के निर्देशों का पालन करने के लिए सीईओ को 15 दिनों का समय दिया गया है। अन्यथा की स्थिति में फोरम नोएडा पुलिस आयुक्त को सीईओ की गिरफ्तारी आदेश को लागू करने का निर्देश देगा।
मई 2014 का है मामला, हुई थी शिकायत
जानकारी के मुताबिक मामला 2 मई वर्ष 2014 का है। राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के एक आदेश का पालन नहीं करने से संबंधित है। आदेश दिल्ली निवासी और याचिकाकर्ता महेश मित्रा की याचिका के बाद जारी किया गया है। बताया गया है कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की लापरवाही के कारण पीड़ित औद्योगिक भूखंड हासिल नहीं कर पाए। वहीं ग्रेटर नोएडा के सीईओ ने बताया कि यह विस्तृत आदेश गौतमबुद्धनगर जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष अनिल कुमार पुंडीर ने दिया है।
आदेश में लिखा है ये सब
आदेश में लिखा है कि मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ को आदेश का पालन न करने का दोषी पाया जाता है। क्योंकि उन्होंने किसी कारण मामले में देरी करने की कोशिश की। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा 27 के तहत उन पर मुकदमा चलाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। इसलिए उक्त धारा के तहत फोरम को दी गई शक्ति के आधार पर सीईओ को एक महीने के कारावास और ₹2,000 के जुर्माने के अधीन किया जाता है।
Authority version in case of Mahesh Mitra vs Greater Noida Industrial Development Authority in District Consumer Forum court, Gautam Budh Nagar. Wrong statements being floated by few media/ social media agencies. pic.twitter.com/U0i7SClThk
— Greater Noida Industrial Development Authority (@OfficialGNIDA) January 8, 2023
15 दिन बाद हो सकती है गिरफ्तारी!
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जिला उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम ने कहा कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ के खिलाफ गिरफ्तारी आदेश जारी किया गया है। विस्तृत आदेश के साथ इसकी एक प्रति गौतमबुद्ध नगर पुलिस आयुक्त को अनुपालन के लिए भेजी गई है।
फोरम ने कहा कि 2 मई, 2014 के राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के आदेश को 15 दिनों के भीतर निष्पादित किया जाना चाहिए। यदि 15 दिनों के भीतर इसे निष्पादित नहीं किया जाता है, तो पुलिस गिरफ्तारी आदेश को लागू कर सकती है।
ग्रेटर नोएडा में प्लॉट का है मामला
दिसंबर 2000 में दिल्ली के शास्त्री नगर निवासी महेश मित्रा ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण द्वारा शुरू की गई एक योजना के तहत भूखंड के लिए आवेदन किया। अपनी शिकायत में पीड़ित ने कहा कि मैंने एक योजना में औद्योगिक प्लॉट के लिए आवेदन किया था।
इसमें ‘पहले आओ पहले पाओ’ के आधार पर जमीन आवंटित की गई थी, लेकिन मुझे सभी नियम और शर्तें पूरी करने और योजना के अनुसार ₹20,000 जमा करने के बावजूद प्लॉट आवंटित नहीं किया गया था। प्राधिकरण की लापरवाही से निराश होकर मैंने दिसंबर 2006 में जिला उपभोक्ता फोरम में याचिका दायर की।
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की ओर से आया ये जवाब
इसके अलावा ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की ओर से कहा गया है कि जिला फोरम ने उनकी बात सुने बिना आदेश जारी कर दिया। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि हमने राष्ट्रीय आयोग के आदेश का पालन किया।
10 सितंबर, 2014 को एक अनंतिम आवंटन पत्र जारी किया, लेकिन आवेदक ने प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया। प्राधिकरण ने अप्रैल 2018 में जिला फोरम को इस बारे में सूचित किया था। अब प्राधिकरण की दलील सुने बिना ही आदेश जारी कर दिया है। हम इस संबंध में उचित कानूनी कार्रवाई करेंगे।