Nikay Chunav 2022: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में नगरीय निकाय चुनाव (Nikay Chunav) में पिछड़ा वर्ग (OBC) का कोटा किस आधार पर तय होगा, इसकी अंतिम रिपोर्ट जून 2023 तक आने की संभावना है। 28 दिसंबर को गठित पिछड़ा वर्ग आयोग अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट तीन महीने के भीतर सौंपेगा। यह जानकारी इसके आयोग (OBC Commission) के अध्यक्ष (OBC Commission Chairman) न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) राम अवतार सिंह ने शनिवार को दी।
डेटा इकट्ठा करने में लगेगा समय
नगर निकायों का सर्वेक्षण करने के लिए राज्य सरकार की ओर से गठित पांच सदस्यीय आयोग की पहली बैठक की अध्यक्षता करने के बाद न्यायमूर्ति राम अवतार सिंह ने कहा कि समिति को पिछड़े वर्गों पर एक डेटा एकत्र करने के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया को अंतिम रूप देने के लिए कुछ समय की जरूरत है।
SC और HC के निर्देशों का होगा पालन
उन्होंने कहा कि स्थानीय निकाय चुनावों का कार्यक्रम राज्य सरकार की ओर से तय किया जाएगा। चूंकि राज्य ने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। उन्होंने बताया कि हम चुनाव के समय और कार्यक्रम पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि निकाय चुनाव में ओबीसी के आरक्षण के संबंध में सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के दिशा-निर्देशों का पालन किया जाएगा।
इन राज्यों के आयोग का भी होगा निरीक्षण
आयोग अध्यक्ष ने कहा कि आयोग सभी जिलों के जिलाधिकारियों से डेटा एकत्र करने में तीन महीने का समय लेगा और इससे आगे की कार्यवाही के लिए भी तीन महीने लगेंगे। आयोग महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और बिहार में अपनाई जा रही प्रक्रिया पर भी गौर करेगा, जहां ट्रिपल-टेस्ट फॉर्मूले को लागू करने के लिए ओबीसी आयोगों का गठन किया गया है।
जिलाधिकारी और प्रशासनिक अधिकारी होंगे शामिल
उन्होंने कहा कि आयोग शनिवार से प्रभावी हो गया है। हम राज्य के सभी जिलों का दौरा करेंगे और राजस्व विभाग के अधिकारियों से मिलेंगे। सर्वेक्षण में शामिल किए जाने वाले बिंदुओं को आयोग तय करेगा। जिलों के प्रशासनिक अधिकारियों से भी मदद ली जाएगी। उन्होंने कहा कि हम निर्वाचित प्रतिनिधियों से भी संपर्क करेंगे और राज्य में सभी राजनीतिक दलों की ओर से जताई गई आपत्तियों को भी देखेंगे।
ये है पूरा मामला
बता दें कि 5 दिसंबर को महापौरों और शहरी स्थानीय निकायों के अध्यक्षों के पदों के लिए आरक्षण की घोषणा की गई थी, जिसके बाद कई लोगों ने कोर्ट से गुहार लगाई थी कि ओबीसी के लिए 27% सीटें आरक्षित करते समय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का पालन नहीं किया गया।
इस पर 27 दिसंबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नगरीय स्थानीय निकाय चुनाव से पिछड़ा वर्ग कोटा हटाने का आदेश दिया था, क्योंकि नागरीय विकास विभाग की ओर से ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूले का पालन नहीं किया गया था। इसके बाद राज्य सरकार ने ओबीसी के राजनीतिक पिछड़ेपन का आकलन करने के लिए 28 दिसंबर को पांच सदस्यीय आयोग का गठन किया था।