Uttar Pradesh Mathura Lathmar Holi: (मातुल शर्मा, मथुरा) कान्हा (भगवान कृष्ण) की क्रीड़ास्थली नंदगांव रविवार को लट्ठमार होली के रंगों से सराबोर दिखी। मथुरा के नंदगांव में सतरंगी उमंगों के बीच लट्ठमार होली खेली गई। हुरियारिनों ने हुरियारों पर जमकर लाठियां बरसाईं। इस अनूठी होली को देखकर हर कोई आनंदित हो उठा।
नंदगांव की गलियों में प्रेम, भक्ति और उल्लास के संगम
नंदगांव की गलियों में प्रेम, भक्ति और उल्लास के संगम के बीच लठामार होली का शुभारंभ हुआ। हुरियारिनों की लाठियों की तड़तड़ाहट और अबीर-गुलाल की बौछार से पूरा नंदगांव गुंजायमान हो उठा।
हाथ में लट्ठ लिए हुए खड़ी ये महिलाएं नंदगांव की हुरियारिनें हैं और सभी बरसाना के हुरियारों को सबक सिखाने के लिये एकजुट हुई है। मौका है नंदगांव की लट्ठमार होली का। नंदगांव की हुरियारिनें यहां होली खेलने आये बरसाना के हुरियारों को अपने लट्ठ से बुरी तरह पीटती हैं और हुरियारे भी इनके लट्ठ से बचने की कोशिश में ढाल का प्रयोग करते है।
लट्ठमार होली के लिए सुबह से ही तैयारियों शुरू हो गई थीं। घर-घर टेसू के फूलों के रंग बनाए गए। दोपहर करीब ढाई बजे बरसाना से राधारानी के स्वरूप हुरियारों के जत्थे राधारानी स्वरूप पताका लिए नंदगांव पहुंचे। यशोदा कुंड पर सबसे पहले हुरियारों ने भांग-ठंडाई का आनंद लिया और फिर सिर पर पगड़ी बांधकर लाठियों के प्रहार सहने के लिए खुद को तैयार किया।
इस लट्ठमार होली में शामिल होने वाले सभी लोग बड़े आनंद की अनुभूति करते है और यही वजह है कि लट्ठमार होली को खेलने के लिये हुरियारे और हुरियारिन सभी अपने परम्परगत वस्त्र पहन कर ही आते है। लठामार होली में अनुभव की शक्ति और युवाओं की ऊर्जा का एक अद्भुत संगम देखने को मिला। लट्ठमार होली सिर्फ एक खेल नहीं बल्कि परंपरा और संस्कृति का हिस्सा है।
नंदगांव के लट्ठमार चौक पर होली खेलने से पहले सभी हुरियारे यहां के मुख्य मंदिर के प्रांगण में इकठ्ठा होकर होली के रसिया गाकर नगाड़ों की थाप पर खूब झूमते है और फिर मुख्य भवन में विराजमान कृष्ण-बलदाऊ के विग्रह के साथ होली खेलते हुए नीचे लट्ठमार चौक तक आते है। इसके बाद शुरू होती है नंदगांव की लट्ठमार होली।
नंदभवन में इकट्ठा हुए श्रद्धालु
हजारों श्रद्धालु सुबह से ही नंदभवन में इकट्ठा हो गए थे। गलियों में गुलाल और रंग बहने लगे। श्रद्धालुओं ने भींगकर होली का आनंद लिया और पूरे वातावरण में राधे-राधे और नंद के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की की गूंज सुनाई देने लगी। होली के इस अद्भुत आयोजन को देखने के लिए देश-विदेश से भक्त नंदगांव पहुंचे थे। जैसे ही लाठियों की तड़तड़ाहट और रसियाओं की धुन खत्म हुई, श्रद्धालु इस अनोखी होली को देखकर धन्य हो गए।