Uttar Pradesh Government Ban Meat Sale on 25 November: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। योगी सरकार ने 25 नवंबर को मांस रहित दिवस घोषित कर दिया है। यानी पूरे प्रदेश में कहीं भी 25 नवंबर को मांस नहीं बिकेगा। दरअसल, राज्य सरकार ने यह फैसला साधु टीएल वासवानी की जयंती के अवसर को देखते हुए लिया है।
कांवड़ यात्रा के दौरान लगाई गई थी रोक
इसके तहत 25 नवंबर को पशुवधशालाएं और गोश्त की दुकानें बंद रहेंगी। बता दें कि हाल ही सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए हलाल सर्टिफाइड प्रोडक्ट्स पर रोक लगा दी थी। इसके कुछ दिनों बाद ही सरकार ने ये फैसला लिया है। वहीं सरकार ने इससे पहले उत्तर जुलाई में कांवड़ यात्रा के दौरान तय मार्गों पर खुले में मांस की बिक्री पर रोक लगाने का फैसला किया था। सरकार का कहना था कि श्रद्धालुओं की आस्था का सम्मान करते हुए कांवड़ मार्ग पर खुले में मांस बेचने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। मार्ग साफ और स्वच्छ रहना चाहिए।
यूपी में 25 नवंबर को स्लॉटर हाउस और मांस की दुकानें रहेंगी बंद
◆ सीएम योगी ने जारी किया आदेश
◆ स्वतंत्रता सेनानी साधु टीएल वासवानी को श्रद्धांजलि देने के लिए बड़ा फैसला
◆ 25 नवंबर को साधु टीएल वासवानी की जयंती#YogiAdityanath | #UttarPradesh | @myogiadityanath pic.twitter.com/Dh5chdTank
— News24 (@news24tvchannel) November 24, 2023
विशेष सचिव ने जारी किया पत्र
विशेष सचिव धर्मेंद्र प्रताप सिंह ने यूपी के सभी मंडल आयुक्त, नगर आयुक्त और जिलाधिकारियों को पत्र जारी किया है। इसके तहत, साधु टीएल वासवानी की जंयती पर राज्य में मीट की दुकानों को बंद रखने का आदेश दिया गया है। लेटर में कहा गया है कि राज्य के महापुरुषों और अहिंसा के सिद्धांत पर चलने वाले युग पुरुषों के जन्म दिवसों और कुछ प्रमुख धार्मिक पर्वों को ‘अभय’ या ‘अहिंसा’ दिवस के रूप में मनाया जाना तय किया गया है।
Uttar Pradesh | 25th November 2023 declared as 'No non-veg day' on the occasion of the birth anniversary of Sadhu TL Vaswani. All slaughterhouses and meat shops to remain closed on the day. pic.twitter.com/wZHPUHVGuJ
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) November 24, 2023
कौन थे साधु टीएल वासवानी
साधू थांवरदास लीलाराम वासवानी का जन्म 25 नवंबर 1879 को हुआ था। वह भारत के प्रमुख शिक्षाविद एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में मीरा आन्दोलन भी चलाया। उन्होंने पुणे में साधु वासवानी मिशन की स्थापना की थी। बॉम्बे यूनिवर्सिटी से 1899 में BA और 1902 में MA पूरा करने के बाद वह मानवता की सेवा में जुट गए। साधु वासवानी ने जीव हत्या बंद करने के कई प्रयास किए। जीव हत्या रोकने के लिए अपनी जान तक देने के लिए तैयार थे। वह मानते थे कि पेड़ पौधों में भी प्राण होते हैं। वे सभी धर्मों को भी एक समान मानते थे।