Uttar Pradesh Politics: उत्तर प्रदेश की 9 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजों की गूंज हर तरफ सुनने को मिल रही है। लोकसभा चुनाव के बाद महज 5 महीने में बीजेपी ने बाजी पलट कर रख दी। इस जीत ने विपक्षी दलों के भी कान खड़े कर दिए। हालांकि यूपी के नतीजे इंडिया गठबंधन से ज्यादा मायावती के लिए चिंता का सबब बन गए हैं। इन नतीजों ने बहुजन समाजवादी पार्टी (बसपा) के अस्तित्व पर सवाल खड़े कर दिए हैं। आलम यह है कि सूबे की एक उभरती हुई पार्टी ने बसपा को एक पायदान पीछे ढकेल दिया है।
आसपा का शानदार प्रदर्शन
हम बात कर रहे हैं चंद्रशेखर आजाद की पार्टी आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) की। यूपी की 9 सीटों पर आसपा ने शानदार प्रदर्शन किया है। आपको जानकर हैरानी होगी कि मायावती की बसपा से ज्यादा वोट चंद्रशेखर की आसपा को मिले हैं। खासकर यूपी की मीरापुरा और कुंदरकी सीट पर आसपा ने बसपा से बेहतर प्रदर्शन करके दिखाया है।
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बसपा के वोटबैंक में सेंधमारी
दरअसल मायावती पश्चिमी यूपी से ताल्लुक रखती हैं। ऐसे में जाटव वोट बैंक हमेशा उनके साथ रहता था। उपचुनाव में मुस्लिम प्रत्याशियों पर दांव खेलकर मायावती ने मुस्लिम वोट बैंक को भी साधना चाहा। हालांकि उनका प्लान फ्लॉप साबित हुआ। 2022 के विधानसभा चुनाव में सूबे की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी रही बसपा अब पांचवें पायदान पर पहुंच गई है। आसपा ने बसपा के वोट बैंक में सेंधमारी करते हुए टॉप 5 में अपनी जगह बना ली है।
तेजी से घटा बसपा का वोट शेयर
बता दें कि 2017 के विधानसभा चुनाव में बसपा को 22.23 प्रतिशत वोट मिले थे, वहीं 2022 में बसपा का वोट शेयर घटकर 12.88 फीसदी हो गया। वहीं 2024 के लोकसभा चुनाव में नगीना से जीत हासिल करके चंद्रशेखर आजाद ने सभी को हैरान कर दिया। इस जीत ने साफ कर दिया कि दलितों के बीच आसपा ने अपनी पैछ बना ली है। अगर यही स्थिति रही तो 2027 के विधानसभा चुनाव में आसपा बसपा के लिए बड़ी चुनौती बन सकती है।
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