नोएडा में सुपरटेक के ट्विन टावर्स को गिरे 1 साल से अधिक समय हो गया है, लेकिन अभी भी घर खरीदारों को पैसा का भुगतान नहीं किया गया है। अब, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार, 27 सितंबर को यूनियन बैंक को निर्देश दिया कि वह सुपरटेक के ट्विन टावर्स के 15 घर खरीदारों को 1.25 करोड़ रुपये रिफंड का हिस्सा ₹15 लाख से अधिक की राशि जारी करे।
कोर्ट ने दिवालिया कार्यवाही का सामना कर रही रियल एस्टेट फर्म को 10 दिनों के भीतर राशि जारी करने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने 31 अगस्त तक राशि जमा करने का दिया था आदेश
17 जुलाई को सुपरटेक के अंतरिम समाधान पेशेवर (IRP) को 31 अगस्त तक सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री में राशि जमा करने का निर्देश दिया था ताकि संबंधित घर खरीदारों को भुगतान किया जा सके। लेकिन आईआरपी पूरी राशि जमा करने में विफल रही क्योंकि यूनियन बैंक ने उसके हिस्से का ₹15,51,678 का भुगतान करने से इनकार कर दिया।
बैंक ने 1 सितंबर को आईआरपी को पत्र लिखकर दावा किया कि राशि का भुगतान नहीं किया जा सकता क्योंकि ट्विन टावर्स – एपेक्स और सेयेन – सुपरटेक के एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट का हिस्सा हैं जो दिवालिया कार्यवाही का हिस्सा नहीं हैं।
इसके अलावा, बैंक ने दावा किया कि वह उस कार्यवाही में पक्षकार नहीं है जिसमें आदेश पारित किया गया था और आईआरपी से कहा कि वह न केवल घर खरीदारों बल्कि वित्तीय लेनदारों के हितों की रक्षा करने के लिए भी कर्तव्यबद्ध है।
धनंजय वाई चंद्रचूड़ वाली पीठ ने सुनाया फैसाल
अब, भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) धनंजय वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, “हम यूनियन बैंक को 17 जुलाई के हमारे आदेश के अनुपालन के लिए सुपरटेक को ₹15,51,678 की राशि जारी करने को सुनिश्चित करने के लिए 10 दिनों के भीतर कदम उठाने का निर्देश देते हैं।”
15 घर खरीदारों पर कुल बकाया राशि ₹7.04 करोड़ थी, जिसमें से ₹2.55 करोड़ की राशि बकाया और भुगतान योग्य थी। न्यायालय के पहले आदेश में इस राशि का भुगतान दो किस्तों में करनी थी। न्यायालय ने आगे निर्देश दिया कि ₹1.25 करोड़ की प्रारंभिक जमा राशि सुपरटेक के प्रशासनिक खर्चों को पूरा करने के लिए निर्धारित 30% राशि में से की जानी है।
घर खरीदारों के लिए रिफंड का रास्ता साफ
हालांकि, बुधवार के आदेश के साथ, आईआरपी पूरा भुगतान करने में सक्षम होगा क्योंकि उसने पहले ही अदालत में ₹1.10 करोड़ से अधिक की राशि जमा कर दी थी।
कोर्ट ने अब रिफंड राशि के शेष भुगतान पर कार्रवाई के लिए मामले को 3 नवंबर को सुनवाई के लिए पोस्ट किया है।
बताते चलें कि, 31 अगस्त, 2021 को अदालत ने राष्ट्रीय भवन संहिता के कथित उल्लंघन के लिए 32 मंजिला टावर्स को ध्वस्त करने का आदेश दिया था। साथ ही कोर्ट ने प्रभावित घर खरीदारों को 12% ब्याज के साथ पूरा रिफंड प्राप्त करने का निर्देश दिया था। पिछले साल मार्च में, यूनियन बैंक ने अनपेड ड्यूज को लेकर इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) के तहत सुपरटेक को दिवालिया घोषित करने के लिए नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) से संपर्क किया था।
आईआरपी को कंपनी के मामलों की देखभाल के लिए नियुक्त किया गया था और कंपनी के सभी खर्चों को कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल की मंजूरी के साथ आईआरपी के माध्यम से किया जाना था।
56 घर खरीदारों को नहीं मिला है रिफंड
शुरुआत में, दोनों टावर्स के 252 फ्लैट मालिकों में से लगभग 56 घर खरीदारों को अभी तक रिफंड नहीं मिला था। अदालत को सूचित किया गया कि रिफंड दावों का पूरा निपटान करने के लिए सुपरटेक को लगभग ₹40 करोड़ अलग रखने होंगे।
न्यायालय तब से इस मामले की निगरानी कर रहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कंपनी के खिलाफ दिवालिया कार्यवाही लंबित होने के बावजूद सभी घर खरीदारों को उनकी निवेशित राशि का पूरा रिफंड मिले।
पिछले साल गिरा था ट्विन टावर
सुपरटेक के एमराल्ड कोर्ट हाउसिंग सोसाइटी में रहने वाले निवासियों द्वारा एक याचिका दायर करने के बाद 2014 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अवैध रूप से निर्मित टावर्स के स्ट्रक्चर को गलत माना था। इस फैसले पर 2021 में सुप्रीम कोर्ट की मुहर लग गई और पिछले साल अगस्त में टावर को गिरा दिया गाया।