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पहाड़ में क्यों ‘बैक गियर’ में पहुंची साइकिल? एक गलती से भुगतना पड़ रहा ये अंजाम

Uttarakhand Lok Sabha Election 2024 : देश में लोकसभा चुनाव 2024 का बिगुल बज गया है। राजनीतिक दलों ने चुनाव प्रचार तेज कर दिया है। कभी उत्तराखंड में समाजवादी पार्टी का वर्चस्व था, लेकिन अब पार्टी ने मैदान छोड़ दिया है। आइए जानते हैं कि इसके पीछे की क्या वजह है?

Edited By : Deepak Pandey | Updated: Apr 10, 2024 15:09
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Akhilesh yadav
उत्तराखंड में सपा की क्या है स्थिति?

Uttarakhand Lok Sabha Election 2024 : देश में लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर सियासी अखाड़ा सज गया है। राजनीतिक पार्टियां चुनावी रण में एक-दूसरे से दो-दो हाथ कर रही हैं। पहाड़ में अखिलेश यादव की साइकिल अब बैक गियर में पहुंच गई है। कभी समाजवादी पार्टी ने उत्तराखंड की हरिद्वार सीट पर जीत हासिल की थी, लेकिन अब पार्टी ने मैदान छोड़ दिया है। सिर्फ एक गलती से पार्टी को अंजाम भुगतना पड़ रहा है।

उत्तर प्रदेश से अलग होकर उत्तराखंड साल 2000 में राज्य बना था। इस वक्त उत्तराखंड में लोकसभा की 5 सीटें हैं। इसके बाद राज्य में साल 2002 में विधानसभा चुनाव हुआ था, जिसमें समाजवादी पार्टी को 6.30 प्रतिशत वोट मिले थे। हालांकि, पार्टी को एक भी सीट जीत नहीं मिली थी। उत्तराखंड में आज तक सपा को विधानसभा चुनाव में जीत नहीं मिली है।

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2004 में सपा ने हरिद्वार में दर्ज की थी जीत

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जब उत्तर प्रदेश अविभाजित था, तब पहाड़ी इलाकों में सपा की अच्छी पकड़ थी। राज्य बनने से पहले इस क्षेत्र में सपा के मुन्ना सिंह चौहान, मंत्री प्रसाद नैथानी, बर्फियालाल जुवांठा, अंबरीष कुमार जैसे बड़े नेता विधायक बने थे। उत्तराखंड बनने के बाद सपा ने 2004 के लोकसभा चुनाव में हरिद्वार सीट पर जीत हासिल की थी। सपा के राजेंद्र कुमार बाडी 1.57 लाख वोट पाकर सांसद बने थे।

2009 और 2014 में उतारे थे उम्मीदवार

साल 2009 के लोकसभा चुनाव में सपा ने दो सीटों पर अपने उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा था, लेकिन सफलता नहीं मिली। इसके बाद सपा के हाथ से हरिद्वार सीट भी निकल गई थी। सपा को उत्तराखंड में कुल 3.7 प्रतिशत वोट मिले थे। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने हरिद्वार, नैनीताल-उधम सिंह नगर और अल्मोड़ा सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। इस चुनाव में भी सपा का कोई उम्मीदवार उत्तराखंड से जीत हासिल कर संसद नहीं पहुंचा।

2019 में बीएसपी का किया था सपोर्ट

2009 और 2014 में हार के बाद सपा की साइकिल ने उत्तराखंड में बैक गियर लगा लिया और उसके बाद किसी भी उम्मीदवार को मैदान में नहीं उतारा। पिछले लोकसभा चुनाव 2019 में पार्टी ने बहुजन समाज पार्टी को सपोर्ट किया था और इस बाद अखिलेश यादव ने कांग्रेस को समर्थन देने का ऐलान किया है।

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जानें सपा ने क्या की थी गलती

माना जाता है कि उत्तराखंड से सपा का सूपड़ा साफ होने की वजह रामपुर तिराहा कांड है। उत्तर प्रदेश से अलग एक पहाड़ी राज्य की मांग को लेकर उत्तराखंड आंदोलन के दौरान रामपुर तिराहा कांड हुआ था। उस वक्त उत्तर प्रदेश में सपा की सरकार थी और पुलिस ने रामपुर तिराहे पर दिल्ली जा रहे निहत्थे आंदोलनकारियों पर गाली चलाई थी, जिसमें कई लोग मारे गए थे।

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Edited By

Deepak Pandey

First published on: Apr 10, 2024 07:00 AM

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