तीर्थ नगरी ऋषिकेश में गंगा किनारे शराब की खाली बोतलें मिलने पर कई लोगों ने चिंता व्यक्त की है। वायरल तस्वीरों को लेकर लोगों की राय बंटी हुई है। गंगा नदी के तट पर स्थित ऋषिकेश हिंदुओं के लिए एक पवित्र और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है। ऐसे में यहां शराब की बोतलें मिलने के बाद लोगों ने निराशा व्यक्त की है, क्योंकि यहां कई प्राचीन मंदिर और आश्रम मौजूद हैं।
हिमाद्री फाउंडेशन ने इंस्टाग्राम पर एक फोटो शेयर की, जिसमें गंगा नदी के किनारे दर्जनों खाली शराब की बोतलें दिखाई दे रही थीं। बोतलों के बगल में कई कूड़े के थैले रखे हुए थे, जबकि नदी के दूसरी तरफ एक मंदिर दिखाई दे रहा था। इसका अर्थ यह निकाला जा रहा है कि लोग मंदिर के सामने, नदी की दूसरी तरफ बैठकर शराब पीते हैं। फाउंडेशन ने तस्वीर पर शीर्षक दिया, “ऋषिकेश – आध्यात्मिकता का बढ़ता कब्रिस्तान।”
ऋषिकेश में बीयर और व्हिस्की की बोतलें
फाउंडेशन की ओर से आगे लिखा गया, “ऋषिकेश, जो कभी आध्यात्मिकता और पवित्रता का प्रतीक था, धीरे-धीरे अपनी आत्मा खो रहा है। शांत घाट, जो कभी मंत्रोच्चार और ध्यानपूर्ण मौन से गूंजते थे, अब बीयर और व्हिस्की की बोतलों से अटे पड़े हैं। नदी के किनारे सिगरेट पीना आम बात हो गई है। क्या यही मां गंगा का सम्मान है? क्या ऋषिकेश को ऐसा ही बनना था?”
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सोशल मीडिया पर बंटी लोगों की राय
हिमाद्री फाउंडेशन द्वारा उठाए गए इस मुद्दे को हजारों लोगों ने सराहा और इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी। कई लोगों ने नदी के किनारे शराब पीने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की, जबकि कुछ का कहना था कि जब नदी और मंदिर के करीब शराब बेची जा रही है तो सिर्फ पीने वालों को दोष देना सही नहीं होगा। इस पर उत्तराखंड सरकार को कार्रवाई करनी चाहिए।
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एक सोशल मीडिया यूजर ने लिखा, “उत्तराखंड सरकार को शराब से होने वाली आय और इस तरह के पर्यटन से पैसे कमाने की क्या जरूरत है? दुनिया भर से लोग यहां दिव्य अनुभव के लिए आते हैं। सरकार को शराब से अधिक धार्मिक पर्यटकों से पैसा मिलता है।” एक अन्य यूजर ने लिखा, “ऋषिकेश में शराब पूरी तरह बैन कर देनी चाहिए।” एक और यूजर ने टिप्पणी की, “पीने वालों की भी गलती है, उन्हें जगह का ध्यान रखना चाहिए।” कई लोगों ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा कि कुछ लोग सिर्फ छुट्टी मनाने के लिए यहां पहुंचते हैं, लेकिन शहर को खराब करने वालों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।