Ram Mandir News: उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर की छत लीक होने की बात सामने आई है। मंदिर के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास ने ही चौंकाने वाला दावा किया है। उन्होंने कहा है कि जहां पर रामलला विराजमान हैं, वहीं पानी टपक रहा है। बारिश के बाद मंदिर परिसर में भी पानी भर गया है। उन्होंने दावा किया है कि बारिश के पानी की निकासी के लिए व्यवस्था नहीं की गई है। समस्या का जल्द समाधान होना चाहिए। सीजन की पहली बारिश में ही रामलला की मूर्ति भीग गई है। मंदिर के अंदर भी पानी भरा है। मुख्य पुजारी ने मांग की है कि जो समस्या निर्माण के बाद सामने आ रही है। उसे जल्द से जल्द दूर किया जाए।
आखिर निर्माण कार्य में क्या कमी रह गई? जिससे पानी टपकने लगा है, यह देखने की जरूरत है। मंदिर के अंदर पानी भरने का दावा भी सत्येंद्र दास ने किया है। उन्होंने कहा कि पानी के निकलने की जगह भी नहीं है और पानी टपक भी रहा है। फौरन इस समस्या का समाधान किए जाने की जरूरत है। अगर बारिश का दौर शुरू हो गया तो पूजा अर्चना करने में दिक्कत होगी।
🚨SHOCKER!
The #RamMandir top roof has started to leak in just one rain!
---विज्ञापन---The ram mandir premises was full of rain water as being reported by mandir chief pujari Satyendra das .#Watch👇🏽
What have songis done with thousands of crores of money they collected from hindus for… pic.twitter.com/rMLrsezexW
— Ritu #सत्यसाधक (@RituRathaur) June 24, 2024
अभी काम चल रहा है, पूरा होते ही परेशानी हल होगी
राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने जल रिसाव को लेकर कहा है कि वे अभी अयोध्या में हैं। पहली मंजिल से बारिश का पानी गिरने की बात सामने आई है। गुरु मंडप की दूसरी मंजिल पर शिखर को पूरा करने का काम चल रहा है। यह काम पूरा होते ही पानी गिरना बंद हो जाएगा। पहली मंजिल पर काम चल रहा है। जिसके कारण नाली में रिसाव की समस्या सामने आ रही है। काम पूरा होने के बाद नाली को बंद कर दिया जाएगा।
गर्भगृह में पानी की निकासी को लेकर कुछ नहीं है। सभी मंडपों में पानी की निकासी के लिए तय मानदंडों के मुताबिक काम किया गया है। गर्भगृह में पानी को मैनुअल तौर पर अवशोषित किया जाता है। डिजाइन और निर्माण में कोई समस्या नहीं है। न ही भक्तों की ओर से भगवान का अभिषेक किया जाना है। जो मंडप खुले हैं, उन पर बारिश के दौरान पानी गिर सकता है। निर्माण से पहले बहस हुई थी। लेकिन नागर वास्तुशिल्प मानदंडों के अनुरूप ही इनको खुला रखा गया है।