इन दिनों सोशल मीडिया पर विपक्ष द्वारा उत्तराखंड की धामी सरकार के प्रचार-प्रसार पर किए गए खर्च को अपने-अपने तरीके से पेश किया जा रहा है। विपक्ष इसे मुद्दा बनाकर सरकार को घेरना चाहता है और इसे भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा। लेकिन सच्चाई इससे बिल्कुल अलग है। वास्तविकता यह है कि उत्तराखंड सरकार ने जिस भी योजना और सेक्टर का प्रचार किया, उस सेक्टर में जमकर धन बरसा, जिससे न सिर्फ सरकारी खजाने में भारी भरकम इजाफा हुआ बल्कि स्थानीय लोगों के लिए भी रोजगार के द्वार खुल गए।
सरकार ने चारधाम, एडवेंचर टूरिज्म, धार्मिक औैर सांस्कृतिक स्थलों का जमकर प्रचार-प्रसार किया
पर्यटन क्षेत्र इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। धामी सरकार ने चारधाम, एडवेंचर टूरिज्म, धार्मिक औैर सांस्कृतिक स्थलों के कायाकल्प और होम स्टे योजना का जमकर प्रचार-प्रसार किया। जिसका नजीता सबके सामने है। कांग्रेस शासनकाल (2012-13 से 2016-17) में कुल 13.59 करोड़ पर्यटक राज्य में आए। भाजपा की त्रिवेंद्र सरकार (2017-18 से 2021-22) में कोविड जैसी वैश्विक महामारी के बावजूद यह संख्या बढ़कर 15 करोड़ तक पहुंच गई। लेकिन असली छलांग देखने को मिली भाजपा 2.0, यानी सीएम धामी के नेतृत्व में। केवल तीन वर्षों (2022-23 से 2024-25) में उत्तराखंड ने 23.46 करोड़ पर्यटकों का स्वागत किया। यह आंकड़ा न केवल नए कीर्तिमान का परिचायक है, बल्कि यह दिखाता है कि प्रचार और निवेश केवल दिखावे का मामला नहीं बल्कि ठोस परिणाम दे रहे हैं।
धामी सरकार का प्रचार और निवेश निर्णायक रहा
अंततः यह देखा जा सकता है कि जो लोग “करोड़ों रुपये फूंकने” की बातें फैला रहे हैं, उनके पास जनता के सामने रखने के लिए कोई ठोस तर्क नहीं है। आंकड़े, तथ्य और परिणाम खुद बोलते हैं। उत्तराखंड पर्यटन की नई ऊंचाइयों तक पहुंचने और स्थानीय अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने में धामी सरकार का प्रचार और निवेश निर्णायक रहा है। आलोचनाओं और झूठी खबरों के विपरीत, यह केवल दिखावे का मामला नहीं, बल्कि सकारात्मक परिणाम और ठोस विकास का प्रमाण है।