---विज्ञापन---

उत्तर प्रदेश / उत्तराखंड

बहादुर जवानों की शहादत को सलाम, पढ़ें UP पुलिस के शहीद सुनील, दुर्गेश और सौरभ के बलिदान की कहानी

Police Commemoration Day: पुलिस स्मृति दिवस पर उत्तर प्रदेश के पुलिस के 3 जवानों की शहादत की कहानी पढ़ते हैं, जिन्होंने बहादुरी का परिचय देते हुए देश के लिए अपना बलिदान दे दिया. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पुष्प अर्पित करके तीनों शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी और उनकी शहादत को नमत किया.

Author Written By: News24 हिंदी Author Published By : Khushbu Goyal Updated: Oct 21, 2025 14:15
police commemoration day
तीनों अफसरों ने अपना फर्ज निभाते हुए प्राण न्योछावर किए थे.

Police Commemoration Day: उत्तर प्रदेश पुलिस प्रदेशवासियों को सुरक्षित और सौहार्दपूर्ण माहौल देने के लिए लगातार अपराध और अपराधियों के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई कर रही है. इस दौरान अदम्य साहस और कर्तव्यों का पालन करते हुए कई उत्तर प्रदेश पुलिसकर्मी शहीद हुए. पिछले 8 साल में अपराधियों से लोहा लेते हुए 18 पुलिसकर्मी शहीद हुए, जबकि 1 सितंबर 24 से 31अगस्त 25 के बीच 3 पुलिसकर्मी शहीद हुए. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को पुलिस स्मृति दिवस पर शहीद पुलिसकर्मियों को पुष्पचक्र अर्पित करके श्रद्धांजलि अर्पित की. उन्होंने शहीद पुलिसकर्मियों के परिजनों से मुलाकात करके उन्हें सम्मानित भी किया.

वनवासियों के साथ मनाई CM योगी ने दिवाली, 49 करोड़ रुपये की 133 परियोजनाओं का दिया तोहफा

---विज्ञापन---

बदमाशों से लोहा लेते हुए शहीद निरीक्षक सुनील कुमार

20 जनवरी 2025 की रात निरीक्षक और दलनायक सुनील कुमार STF उत्तर प्रदेश की टीम के साथ एक लाख के इनामी अपराधी अरशद की तलाश में निकले थे. टीम में उपनिरीक्षक प्रमोद कुमार, मुख्य आरक्षी प्रीतम सिंह, मुख्य आरक्षी चालक जयवर्धन, उप निरीक्षक जयबीर सिंह, मुख्य आरक्षी रोमिश तोमर, मुख्य आरक्षी आकाश दीप, मुख्य आरक्षी अंकित श्योरान और आरक्षी चालक प्रदीप धनकड़ शामिल थे. मुखबिर से सूचना मिली कि अरशद और उसके साथी सफेद ब्रेजा गाड़ी में किसी बड़े अपराध की योजना बना रहे हैं. इस सूचना पर निरीक्षक सुनील कुमार के नेतृत्व में रात 11 बजे बिडौली चैसाना चौराहा जनपद शामली पर कार की घेराबंदी की गई.

गिरफ्तारी के प्रयास में बदमाशों ने उदयपुर भट्ठे के पास पुलिस टीम पर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी. गोलियों की बौछार के बीच निरीक्षक सुनील कुमार को कई गोलियां लगीं, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और नेतृत्व करना जारी रखा. उनकी टीम ने आत्मरक्षा में जवाबी कार्रवाई की, जिसमें 4 बदमाश घायल हुए और बाद में उनकी मौत हो गई. गंभीर रूप से घायल निरीक्षक सुनील कुमार को अमृतधारा अस्पताल करनाल में भर्ती कराया गया, जहां से उन्हें मेदांता गुरुग्राम रेफर किया गया. उपचार के दौरान 22 जनवरी 2025 की दोपहर 2:30 बजे उन्होंने वीरगति प्राप्त की. उनका यह बलिदान उत्तर प्रदेश पुलिस के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में दर्ज हो गया.

---विज्ञापन---

सीएम योगी ने अयोध्या की निषाद बस्ती में मनाई दीपावली, बच्चों को दी मिठाइयां और उपहार

मुख्य आरक्षी दुर्गेश कुमार सिंह का बलिदान बना प्रेरणास्त्रोत

मुख्य आरक्षी दुर्गेश कुमार सिंह की ड्यूटी 12 मई 2025 को प्रभारी निरीक्षक चन्दवक, जौनपुर के हमराह के रूप में लगाई गई थी. 17 मई 2025 को वे तहसील दिवस के बाद थाना जलालपुर जौनपुर क्षेत्र में गो-तस्करों के विरुद्ध चलाए जा रहे अभियान में शामिल हुए. प्रभारी निरीक्षक सत्यप्रकाश सिंह के साथ वे खुज्झी मोड़ पर वाहनों की चेकिंग कर रहे थे. रात लगभग 11:50 बजे पिकअप (यूपी 65 पीटी 9227) को रोकने के लिए इशारा किया गया. तभी चालक ने जान से मारने की नियत से वाहन मुख्य आरक्षी दुर्गेश कुमार सिंह के ऊपर चढ़ा दिया.

घटनाक्रम में दुर्गेश गंभीर रूप से घायल हो गए. उन्हें तत्काल बीएचयू वाराणसी के ट्रॉमा सेंटर ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. घटना के बाद पुलिस ने तत्काल घेराबंदी करके आरोपियों का पीछा किया. आरोपियों ने सतमेसरा गांव के बगीचे में छिपकर पुलिस पर फायरिंग की. पुलिस की जवाबी कार्रवाई में तीनों आरोपी घायल हुए और एक आरोपी सलमान की उपचार के दौरान मृत्यु हो गई. मुख्य आरक्षी दुर्गेश कुमार सिंह का यह बलिदान न केवल जौनपुर पुलिस, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश के लिए प्रेरणास्रोत बन गया.

सीएम योगी ने अयोध्या से किया रामराज्य की अवधारणा को साकार करने का आह्वान, बोले- समाज तोड़क तत्वों से रहना होगा सावधान

विपरीत परिस्थितियों में बहादुरी दिखाते हुए शहीद हुए सौरभ

25 मई 2025 को उपनिरीक्षक सचिन राठी के नेतृत्व में पुलिस टीम थाना फेस-3, गौतमबुद्धनगर क्षेत्र में पंजीकृत एक मामले के वांछित अभियुक्त कादिर की तलाश में गई. टीम में उपनिरीक्षक उदित सिंह, उप निरीक्षक निखिल, कांस्टेबल सचिन, कांस्टेबल सौरभ, कांस्टेबल सन्दीप कुमार और कांस्टेबल सोनित शामिल थे. मुखबिर की सूचना पर टीम ग्राम नहाल, थाना मसूरी, जनपद गाजियाबाद पहुंची. मुखबिर ने बीच में बैठे व्यक्ति की पहचान कादिर के रूप में कराई. पुलिस ने दबिश देकर उसे पकड़ लिया, लेकिन कादिर ने शोर मचाना शुरू कर दिया. उसकी आवाज सुनते ही भीड़ एकत्र हो गई और पुलिस टीम पर हमला कर दिया.

कादिर को गाड़ी में बैठाने के दौरान उसके भाई और अन्य लोगों ने पुलिस पर फायरिंग करनी शुरू कर दी. इस दौरान कांस्टेबल सौरभ कुमार के सिर में गोली लगी और कांस्टेबल सोनित भी घायल हो गए. जब पुलिस घायल जवानों को गाड़ी में बैठाने लगी, तब भीड़ ने फिर से पथराव और फायरिंग शुरू कर दी. टीम के कुछ सदस्य घायल सौरभ कुमार को लेकर तत्काल यशोदा अस्पताल, नेहरू नगर, गाजियाबाद पहुंचा, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. आरक्षी सौरभ कुमार ने विपरीत परिस्थितियों में भी बहादुरी दिखाते हुए साथियों के साथ कर्तव्य निभाया और अपने प्राणों की आहुति दी.

‘त्योहार शान्ति, एकता और सद्भाव का सन्देश देते हैं’, CM योगी ने दी दीपावली की शुभकामनाएं

वर्ष 1960 से मनाया जा रहा पुलिस स्मृति दिवस

भारत में पुलिस स्मृति दिवस हर साल 21 अक्टूबर को मनाया जाता है. यह दिन उन शहीद पुलिसकर्मियों की स्मृति में समर्पित है, जिन्होंने देश की आंतरिक सुरक्षा, शांति और कानून व्यवस्था बनाए रखने के दौरान अपने प्राणों की आहुति दी. यह दिवस न केवल उनकी शहादत को याद करने का अवसर है, बल्कि पुलिस बल के प्रति सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करने का भी प्रतीक है.

इस दिवस की शुरुआत 21 अक्टूबर 1959 को घटी एक ऐतिहासिक घटना से हुई. उस दिन लद्दाख के हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र में भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के एक गश्ती दल पर चीनी सैनिकों ने घात लगाकर हमला किया. इस हमले में सीमा की रक्षा करते हुए 10 भारतीय पुलिसकर्मी वीरगति को प्राप्त हुए. इस घटना के बाद 1960 से प्रत्येक वर्ष 21 अक्टूबर को पुलिस स्मृति दिवस मनाने की परंपरा शुरू की गई, ताकि उन बहादुर पुलिस जवानों के बलिदान को सदैव याद रखा जा सके.

First published on: Oct 21, 2025 01:57 PM

संबंधित खबरें

Leave a Reply

You must be logged in to post a comment.