Uttar Pradesh Noida News (जुनेद अख्तर) : नोएडा अथॉरिटी सीईओ डॉ. लोकेश एम ने शहर में अवैध रूप से लगे विज्ञापनों को लेकर जांच के आदेश दिए हैं। बताया जा रहा है कि लगातार मिल रही शिकायतों के बाद एक्शन लिया गया है। सूत्रों के मुताबिक, शहर में विज्ञापन होर्डिंग की आड़ में करोड़ों रुपये का घोटाला किए जाने का मामला सामने आया है, जिसके बाद अथॉरिटी के सीनियर अधिकारियों की के होश उड़ गए। इस मामले में अथॉरिटी के भी कुछ अधिकारियों की मिलीभगत की बात कही जा रही है। गुरुवार को एक टीम डीएनडी पर लगे विज्ञापनों की जांच करने पहुंची थी। इस दौरान टीम ने विज्ञापन पर अंकित नंबरों और दूसरी चीजों को एक डायरी में नोट किया।
अथॉरिटी को ऐसे लगा रहे थे चूना
नोएडा अथॉरिटी के मुताबिक, डीएनडी पर खाली पड़ी जमीन के सर्वेक्षण की प्रक्रिया बुधवार से शुरू की गई है। डीएनडी पर विभिन्न कंपनियों के होर्डिंग लगे हैं। बताया जाता है कि यहां विज्ञापन की आड़ में करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान अथॉरिटी को हो रहा है। आधिकारिक सूत्रों की मानें तो विज्ञापन कंपनी को प्रति माह करीब 28 लाख रुपये अथॉरिटी को देने होते थे। इसमें साठगांठ करके महज प्रति माह 22 से 25 लाख रुपये ही अथॉरिटी के खाते में जमा कराए जाते रहे। वहीं, अथॉरिटी के बाह्य विज्ञापन बॉयलॉज के तहत यहां छोटे पोल पर विज्ञापन नहीं किए जा सकते, लेकिन जांच में ऐसा होता पाया गया है।
दोषी पर होगी सख्त कार्रवाई
नोएडा अथॉरिटी के सीईओ डॉ. लोकेश एम ने बताया कि डीएनडी पर जगह-जगह विज्ञापन लगे हैं। यह सभी विज्ञापन अवैध रूप से लगाए जाने का आरोप है। जब इस मामले की जांच कराई गई तो आरोप सही पाए गए। जिसके बाद अथॉरिटी अधिकारी से बात की गई और जांच के आदेश दिए गए। उन्होंने बताया कि इस मामले में जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ले चुका है एक्शन
डीएनडी मामले में बीते साल दिसंबर में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया था। स्थानीय कोर्ट ने यहां पर टोल नहीं वसूलने के सुप्रीम कोर्ट का आदेश बरकरार रखते हुए अथॉरिटी का टोल ब्रिज और आईएल एंड एफएस के साथ परियोजना को लेकर हुए करार को सही नहीं माना था। परियोजना को लेकर वर्ष 2016 से सुप्रीम कोर्ट में केस चल रहा था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से ही डीएनडी पर टोल वसूली बंद हो गई थी।
खाली बची जमीन का होगा सर्वे
नोएडा अथॉरिटी की तरफ से डीएनडी को इस परियोजना के लिए 454 एकड़ जमीन दी गई थी। इसमें करीब 124 एकड़ जमीन का उपयोग हुआ। इस मामले में अथॉरिटी अधिकारियों का कहना है कि परियोजना के लिए कितनी जमीन दी गई थी और अभी मौके पर कितनी खाली बची हुई है, इसके लिए सर्वे करवाया जाएगा।