नोएडा में मानसून के दौरान भारी बारिश ने प्राधिकरण की पोल खोलकर रख दी। प्राधिकरण के लिए बारिश के दौरान होने वाला जलभराव सिर दर्द बना हुआ है। इसके समाधान के लिए नोएडा प्राधिकरण ने रुड़की के IIT एक्सपर्ट से राय ली है। गुरुवार को प्राधिकरण के सीईओ लोकेश एम और डीजीएम सिविल ने जल निकासी व्यवस्था में सुधार और जल निकासी में बाधा बन रहे बॉटलनेक पॉइंट को लेकर IIT रुड़की के प्रोफेसर कमल जैन के साथ मीटिंग की। इस दौरान आईआईटी की टीम ने प्राधिकरण अधिकारियों के साथ जल निकासी व्यवस्था का निरीक्षण किया।
शहर में बारिश के दौरान जगह-लगह जलभराव हो रहा है। जिसके चलते कई रूटों पर भीषण जाम लग रहा है और लोगों के वाहन भी खराब हो रहे हैं। इस समस्या को देखते हुए नोएडा प्राधिकरण सीईओ लोकेश एम ने ड्रेनेज सिस्टम को ठीक करने के संकेत दिए हैं। जल निकासी के स्थान वर्तमान समय में बॉटल नेक का रूप ले चुके हैं। इनमें सुधार के लिए IIT जैसी विशेषज्ञ संस्था से सर्वे कराने के निर्देश दिए गए थे। वहीं, नोएडा प्राधिकरण ने दावा किया था कि मानसून के दौरान शहर में जलभराव की समस्या नहीं होगी। दावा था कि मानसून से पहले ही शहर के हर छोटे-बड़े नालों की सफाई कराई जा चुकी है, लेकिन बारिश ने प्राधिकरण की पोल खोल दी है।
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IIT टीम करेगी सर्वे रिपोर्ट तैयार
गुरुवार को आईआईटी रूड़की के प्रोफेसर कमल जैन ने टीम के साथ प्राधिकरण के सीईओ और डीजीएम सिविल के साथ बैठक की। उसके बाद ड्रेनेज सिस्टम देखा। प्राधिकरण के मुताबिक, आईआईटी अब विस्तृत सर्वे रिपोर्ट तैयार करेगी। इसी रिपोर्ट के आधार पर प्राधिकरण सुधार कार्य शुरू करेगा।
सीवर लाइन की मरम्मत के लिए टेंडर जारी
वहीं नोएडा प्राधिकरण ने सीवर लाइन की मरम्मत के लिए टेंडर जारी किया है। ये टेंड नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे के समानांतर ग्रीन बेल्ट के दाएं और बाएं तरफ 10.30 किमी से 20 किमी तक गहरी सीवर लाइन की मरम्मत के लिए जारी किया गया है। प्राधिकरण के जीएम आरपी सिंह ने बताया कि अभी तक कंपनी का चयन नहीं किया गया है। जल्द ही कंपनी का चयन कर सीवर लाइन का काम शुरू कराया जाएगा।
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यूपी जल निगम को काम करना था पूरा
बताया जा रहा है कि सीवर लाइन का काम यूपी जल निगम को पूरा करना था। इसके लिए 2002 में नोएडा प्राधिकरण और यूपी जल निगम के बीच एमओयू साइन हुए थे। इस एमओयू को आंशिक रूप से रद्द कर दिया गया है। इसका फैसला बोर्ड में हो चुका है। इस क्षेत्र में उद्योग, संस्थागत, आवासीय और ग्रामीण आबादी लगातार बढ़ रही है। यहाँ पहले बिछाई गई सीवरेज लाइन पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुकी है। ऐसे में, निकलने वाला सीवेज कई जगहों पर नोएडा एक्सप्रेसवे ग्रीन बेल्ट में भर जाता है।