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मेरठ के मेडिकल कॉलेज में बच्चों वाली तकनीक से हुआ 18 साल के युवक का इलाज; दिल में था इतना बड़ा छेद

मेरठ: स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में बेहतरीन काम कर रहे उत्तर प्रदेश के मेरठ स्थित लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज के खाते में बीते दिन उस वक्त एक और उपलब्धि जुड़ गई। यहां 18 साल के एक युवक के दिल का 30 मिली मीटर (MM) का छेद डॉक्टर्स ने बच्चों वाली तकनीक से बंद किया […]

Edited By : Balraj Singh | Updated: Aug 22, 2023 07:59
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मेरठ: स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में बेहतरीन काम कर रहे उत्तर प्रदेश के मेरठ स्थित लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज के खाते में बीते दिन उस वक्त एक और उपलब्धि जुड़ गई। यहां 18 साल के एक युवक के दिल का 30 मिली मीटर (MM) का छेद डॉक्टर्स ने बच्चों वाली तकनीक से बंद किया है। फिलहाल यह युवक अब मरीज एकदम स्वस्थ है।

  • हसनपुर के युवक नीरज को जन्म से था दिल में छेद; हार्ट सर्जरी के लिए भी मना कर दिया गया तो लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज में लाया गया

  • हृदय रोग विभाग के प्रमुख डॉ. धीरज सोनी ने बताया-10 से भी कम रहने वाला प्रेशर 58 हो गया था नीरज के दिल में

मिली जानकारी के अनुसार हसनपुर के 18 साल के नीरज नामक एक युवक को सांस लेने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। हालांकि जन्म से उसके दिल में छेद था। अब जब दिक्कत ज्यादा बढ़ गई तो बीते दिनों उसे मेरठ के लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज भर्ती कराया गया। वहां इसका बच्चों वाली तकनीक को इस्तेमाल करके सफल इलाज किया गया है।

इस बारे में मेडिकल कॉलेज के हृदय रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. धीरज सोनी ने बताया कि नीरज को जब उनकी ओपीडी में लाया गया तो उसके दिल के दाईं तरफ का प्रेशर 58 हो गया था। हालांकि आम तौर पर यह 10 से भी कम रहता है। इतनी ज्यादा मात्रा में दबाव बढ़ जाने की वजह से उसका उपचार शुरू कर पाना अपने आप में एक बड़ा खतरा था। यहां तक कि यहां आने से पहले किसी दूसरे अस्पताल की तरफ से नीरज को ओपन हार्ट सर्जरी के लिए भी मना कर दिया गया था।

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इस समस्या से निपटने के लिए सबसे पहले 1 महीने तक दवाइयों के सहारे प्रेशर कम किया गया। ईको कार्डियोग्राफी करने पर पाया गया कि नीरज का इलाज डिवाइस क्लोजर के जरिये हो सकता है। इसके बाद इस आधुनिक तकनीक से उसका सफल इलाज किया गया है। फिलहाल नीरज एकदम स्वस्थ है।

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डॉ. धीरज सोनी ने बताया कि अभी तक इस तकनीक का इस्तेमाल सिफ बच्चों के इलाज में इस्तेमाल किया जाता था, लेकिन अब व्यस्कों के इलाज में भी यह तकनीक कारगर साबित हुई, जो अपने आप में स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में किसी क्रांति से कम नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि मेडिकल कॉलेज में प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग की तरफ से बेहतरीन आधुनिक मशीनें उपलब्ध कराई गई हैं। इनकी मदद से उनका विभाग हर बीमारी पर बारीकी से काम कर सकने में सक्षम है। उधर, हालिया मामले को लेकर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉक्टर आरसी गुप्ता ने डॉक्टर धीरज सोनी और उनकी टीम को बधाई दी है।

एक महिला मरीज की भी बचाई जा चुकी जान

उधर, यह बात भी उल्लेखनीय है कि आजकल लोगों को हृदय संबंधी परेशानियां बहुत हो रही हैं। पहले की बजाय आजकल ऐसे मरीजों की संख्या बहुत बढ़ गई है, लेकिन यह आधुनिक तकनीक का फायदा है कि लोग सरकारी सुविधाओं के बीच बेहद कम खर्चे में इलाज करा रहे हैं। हाल ही में थोड़े ही दिन पहले 22 साल की साक्षी नाम की एक महिला की दिल की बीमारी का इलाज भी डॉक्टर धीरज सोनी और उनकी टीम पलमोनरी वाल्व बैलून डाइलेटेशन विधि से किया है। पूरी तरह से स्वस्थ इस महिला को मंगलवार को डिस्चार्ज किया जा रहा है।

First published on: Aug 22, 2023 07:52 AM
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