गोरखपुर अजीत सिंह की रिपोर्ट: अंकिता, अंजलि, अंशिका और अनामिका ये आईटीएम (इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एण्ड मैनेजमेंट) की चार ‘ए’ हैं, जिन्होंने कमाल कर दिया है। इन चारों सहेलियों ने एक ऐसी ‘जादू’ की छड़ी बनाई है, जो दिव्यांगों को रास्ता दिखाएगी। चारों भावी इंजीनियरों ने कम उम्र में ही बड़ा आविष्कार किया है। जिससे दिव्यांगों को काफी फायदा होगा।
किसी भी स्थान की जानकारी देगी छड़ी
शिवरात्रि के पहले तैयार की गई इस छड़ी का नाम छात्राओं ने ‘शिवा ब्लाइंड स्टिक’ रखा है। यह छड़ी दिव्यांगों को किसी भी स्थान पर पहुंचने और उसके बारे में जानकारी देगी। यहां तक कि मंदिर में किस भगवान की मूर्ति लगी है, इसके बारे में भी डिवाइस के माध्यम से पता चल जाएगा। तीन छात्राएं बीटेक और एक एमबीए प्रथम वर्ष में है। पढ़ाई के साथ ही उन्होंने दिव्यांगों की मदद के बारे में सोचा।
ऐसे काम करती है यह छड़ी
छड़ी को 10 दिन के अंदर तैयार किया गया है। बाजार में इसकी कीमत 600 से 700 रुपए तक पड़ेगी। चारों छात्राओं ने इस डिवाइस को असिस्टेंट प्रोफेसर विनीत राय के निर्देशन में तैयार किया है। यह छड़ी रेडियो सिग्नल पर काम करती है। छड़ी में रिसीवर होता है, जो वॉइस सर्किट से जुडा होता हैं। इस सर्किट का एक ट्रांसमीटर होता हैं, जिसे धार्मिक स्थलों, मेडिकल शॉप, हॉस्पिटल की जानकारी ट्रांसमीटर चिप में इंस्टॉल कर सकतें हैं। दिव्यांग छड़ी में लगे बटन को दबाता है तो उस एरिया में ट्रांसमीटर को एक रेडियो सिग्नल मिलता हैं। जिससे छड़ी में लगे ईयर फोन में आवाज के माध्यम से ये पता चल जाता हैं कि उनके नजदीक क्या है।