उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने सपा सरकार के दौरान पास किए गए मदरसा विधेयक बिल को वापस ले लिया है, जिसके अंतर्गत मदरसा शिक्षकों और कर्मचारियों को विशेष कानूनी सुरक्षा दी गई थी. यदि कोई मदरसा शिक्षक या कर्मचारी नियम कानून का उल्लंघन करता है, जानकारी मिलने पर उसके खिलाफ पुलिस सीधे कार्रवाई कर सकेगी.
बता दें कि साल 2016 में सपा सरकार के कार्यकाल में उत्तर प्रदेश मदरसा (अध्यापकों एवं अन्य कर्मचारियों के वेतन का भुगतान) विधेयक पास किया गया था. उसको इस विधेयक को संविधान की अनुसूची में शामिल कर कानून का रूप देने की कोशिश की गई थी. वहीं, इस कानून के तहत मदरसों के किसी भी शिक्षक या कर्मचारी के खिलाफ किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं की जा सकती थी.
2016 में राज्यपाल ने बिल पर जताई थी आपत्ति
बता दें कि साल 2016 के राज्यपाल राम नाईक ने बिल पर आपत्ति जताई थी और इसे वापस राष्ट्रपति के पास भेज दिया था. उन्होंने तर्क देते हुए कहा था कि यह विधेयक संविधान के दायरे में नहीं आता है. उस समय सपा सरकार विधेयक को लागू ही नहीं कर सकी थी. उसके बाद 2017 में यूपी में भाजपा की सरकार बन गई. इसके बाद राष्ट्रपति ने भी इस बिल को वापस कर दिया था.
इसके बाद केंद्र सरकार ने बिल की कमियों को देखते हुए निर्देश दिए थे कि नया विधेयक लाया जाए, जो संविधान के दायरे में हो. राष्ट्रपति से बिल वापस आने के बाद प्रदेश सरकार की कैबिनेट ने विधेयक वापस लेने का प्रस्ताव मंजूर करा लिया था.










