उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के एक हत्या के मामले में कोर्ट ने एक दिवंगत जज की पत्नी और दो बेटों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। इसके साथ ही कोर्ट ने इन पर ढाई-ढाई लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। दरअसल, कोर्ट ने बुधवार को 18 साल पहले हुए एक हत्या के मामले की सुनवाई की। इस दौरान कोर्ट ने इस मामले के दोषी दिवंगत जज शिवबरन सिंह की पत्नी और उनके दो बेटों के खिलाफ यह फैसला सुनाया है। चलिए जानते हैं कि आखिर मामला क्या है?
संपत्ति विवाद का है मामला
यह मामला कानपुर जिले के कोतवाली क्षेत्र के बेहटा बुजुर्ग गांव का है। यहां 29 अप्रैल 2007 को एक हत्या हुई, जिसमें राज्य के कई जिलों के एडीजे रहे शिवबरन और उनका पूरा परिवार नामजद था। दरअसल, रिटायर एडीजे शिवबरन सिंह का बेहटा बुजुर्ग गांव के रहने वाले वीरेंद्र सिंह के साथ संपत्ति विवाद चल रहा था। कानपुर के किदवईनगर के रहने वाले शिवबरन सिंह और वीरेंद्र सिंह के बीच चाचा-भतीजे का रिश्ता था। दोनों के बीच संपत्ति विवाद गांव का मकान खाली करने को लेकर शुरू हुआ था, जो देखते ही देखते हत्या जैसे वारदात में बदल गया।
कैसे हुई वीरेंद्र की हत्या?
जानकारी के अनुसार, 29 अप्रैल 2007 को शिवबरन सिंह कानपुर से बेहटा गांव पहुंचे, यहां उनका वीरेंद्र सिंह के साथ विवाद हो गया। कुछ ही समय में इस विवाद ने मारपीट का रूप ले लिया। वीरेंद्र सिंह के परिवार ने पुलिस को शिकायत में बताया कि शिवबरन, उनके बेटों और पत्नी की तरफ से वीरेंद्र पर लाठी-डंडों और धारदार औजार से काफी बुरी तरह पीटा गया। इस मारपीट में वीरेंद्र की मौत हो गई। इस दौरान लड़ाई में बीच-बचाव करने वाला वीरेंद्र का बेटा नवनीत सिंह भी गंभीर रूप से घायल हो गया।
सुनवाई के दौरान शिवबरन की मौत
इस घटना के बाद मामले में वीरेंद्र के दूसरे बेटे विशाल ने शिवबरन सिंह, उनकी पत्नी नीलम, बेटों यशोवर्धन, जयवर्धन और जयवर्धन की पत्नी शीलू के खिलाफ घाटमपुर कोतवाली में हत्या और हत्या के प्रयास का मामला दर्ज कराया था। इस मामले की सुनवाई एडीजे कोर्ट संख्या-6 में चल रही थी। सुनवाई के दौरान बीच में शिवबरन का निधन हो गया। इसके बाद कोर्ट ने 9 मई को हुई सुनवाई में शिवबरन की पत्नी नीलम और दोनों बेटों जयवर्धन और यशोवर्धन को दोषी करार दिया था। वहीं बहू शीलू को दोषमुक्त कर दिया।
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आजीवन कारावास की सजा
इसके बाद 14 मई को एडीजीसी विवेक त्रिपाठी ने दोषियों को सजा सुनाते हुए कहा कि मामले में अभियोजन और बचाव पक्ष की दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट दोषी नीलम देवी, यशोवर्धन और जयवर्धन को आजीवन कारावास की सजा सुनाती है। इसके साथ ही तीनों पर ढाई-ढाई लाख रुपये का जुर्माना भी लगाती है।