---विज्ञापन---

उत्तर प्रदेश / उत्तराखंड

कानपुर की डॉ. अनुष्का तिवारी को लेकर बड़ा खुलासा, ‘घोस्ट सर्जन’ बन करती थी हेयर ट्रांसप्लांट

कानपुर में हेयर ट्रांसप्लांट क्लिनिक चलाने वाली डॉक्टर अनुष्का तिवारी को लेकर एक और बड़ा खुलासा हुआ है। दरअसल, डॉक्टर अनुष्का तिवारी एक 'घोस्ट सर्जन' है, जो बिना नाम, डिग्री और रजिस्ट्रेशन नंबर के लोगों का हेयर ट्रांसप्लांट करती थीं।

Author Edited By : Pooja Mishra Updated: May 20, 2025 15:08
Kanpur Hair Transplant Case (2)

कानपुर हेयर ट्रांसप्लांट कांड की डॉक्टर अनुष्का तिवारी को लेकर एक बार फिर से चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। दरअसल, 40-50 हजार रुपये में हेयर ट्रांसप्लांट करने वाली डॉक्टर अनुष्का तिवारी के पास डिग्री और रजिस्ट्रेशन नंबर दोनों ही नहीं हैं। इसके अलावा खुद को डॉक्टर बताने वाली अनुष्का तिवारी ने इंजीनियरों को दवा के लिए जो पर्चा दिया था, उसमें तो डॉक्टर का नाम भी नहीं था। मेडिकल साइंस की दुनिया में ऐसे लोगों को ‘घोस्ट सर्जन’ कहा जाता है, जिनका कोई मेडिकल रिकॉर्ड दर्ज नहीं होता।

इंजीनियरों के परिवार का दावा

कानपुर से हेयर ट्रांसप्लांट करवाने के बाद जान गंवाने वाले दोनों इंजीनियरों के परिवार ने दावा किया है कि डॉक्टर अनुष्का तिवारी ने उन्हें दवा की जो प्रिस्क्रिप्शन रसीद दी थी, उसमें न तो डॉक्टर का नाम था, न किसी डिग्री का जिक्र और न ही रजिस्ट्रेशन नंबर था। इसके अलावा एक बात और सामने आई है कि फर्रुखाबाद के इंजीनियर मयंक कटियार की मौत के बाद डॉक्टर अनुष्का ने अपने क्लिनिक का नाम और ठिकाना दोनों ही बदल लिया। मालूम हो कि मयंक कटियार की मौत हेयर ट्रांसप्लांट के अगले दिन ही हो गई थी।

क्यों बदला क्लिनिक का नाम और जगह?

मयंक कटियार के परिवार ने बताया कि हेयर ट्रांसप्लांट के बाद डॉक्टर अनुष्का ने मयंक को अंपायर क्लिनिक के नाम से प्रिस्क्रिप्शन रसीद दी थी, जिस पर क्लिनिक का पता आवास विकास था। वहीं, इंजीनियर विनीत दुबे को दी गई प्रिस्क्रिप्शन रसीद पर वाराही क्लिनिक का नाम था, जिसका केशवपुरम लिखा था। हालांकि इस पर्ची पर डॉक्टर का नाम और रजिस्ट्रेशन नंबर नहीं था।

यह भी पढ़ें: Khargone News: दूषित पानी पीने से 350 से ज्यादा बीमार, उल्टी-दस्त से महिला की मौत

क्या है मेडिकल क्राइम?

वहीं, इस पूरे मामले में इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ हेयर रेस्टोरेशन सर्जन (ISHRS) के मेंबर और यूपी में ट्रांसप्लांट यूनिट के पायनियर डॉ. विवेक सक्सेना ने कहा कि बिना नाम, रजिस्ट्रेशन नंबर और डिग्री के इलाज करना एक मेडिकल क्राइम है। दोनों इंजीनियरों की मौत गैरकानूनी और लापरवाह मेडिकल प्रैक्टिस का मामला है।

First published on: May 20, 2025 03:08 PM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.

संबंधित खबरें