न्यायाधीश यशवंत वर्मा के घर से नकदी मिलने का मामला अब धीरे-धीरे तूल पकड़ता जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट की जांच के बाद अब गेंद सरकार के पाले में है। खबर है कि सरकार मानसून सत्र में जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग ला सकती है। इसके लिए उसने विपक्ष से बातचीत भी शुरू कर दी है। सूत्रों की मानें तो विपक्ष भी इस मामले में सरकार के साथ है।
इस बीच इस मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी का बयान भी सामने आया है। उन्होंने कहा कि यह आम जनता की जीत है, क्योंकि जनता का विश्वास ही न्यायपालिका की शक्ति का आधार है। इस प्रस्ताव के कारण जनता को लगेगा कि पूर्व मुख्य न्यायाधीश और सरकार ने उनकी आवाज सुनी है। यह जनता और मुद्दे की जीत की दिशा में एक कदम है। मैं सभी राजनीतिक दलों से महाभियोग के पक्ष में मतदान करने की अपील करता हूं।
#WATCH | Prayagraj, UP | On reports of the government to move an impeachment motion against Justice Yashwant Varma over the alleged recovery of money from his residence, Anil Tiwari, Allahabad High Court Bar Association President, says, “…This is the victory of the public at… pic.twitter.com/Ukjh3mcUTo
— ANI (@ANI) May 28, 2025
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सरकार कर रही इस्तीफे का इंतजार
न्यूज एजेंसी पीटीआई की मानें तो 15 जुलाई के बाद शुरू होने वाले मानसून सत्र में सरकार महाभियोग प्रस्ताव ला सकती है। हालांकि सरकार अभी इंतजार कर रही है कि जस्टिस वर्मा खुद इस्तीफा दे दें। बता दें कि जस्टिस वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित घर में 14 मार्च को भीषण आग लग गई थी। उनके घर के स्टोर रूम से 500 रुपये के जले नोटों के बंडल बोरे में मिले थे। जिसके बाद उनका ट्रांसफर इलाहाबाद हाईकोर्ट कर दिया था।
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