उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस राम मनोहर मिश्र ने 17 मार्च को रेप के मामले में फैसला सुनाया था। इसके बाद उनके फैसले पर देशभर में चर्चाएं शुरू हो गई थीं। उन्होंने अपने फैसले में कहा था कि लड़की के प्राइवेट पार्ट को छूना और पायजामे का नाड़ा तोड़ना रेप की कोशिश का मामला नहीं बनता। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था। शीर्ष न्यायालय ने फैसले को ‘निर्मम’ और ‘संवेदनहीन’ करार दिया। इसके बाद जस्टिस मिश्र की कड़ी आलोचनाएं होने लगी थीं।
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सुप्रीम कोर्ट ने उनके फैसले को कानूनी मानकों के हिसाब से नहीं मानते हुए रोक लगाने की बात कही थी। कोर्ट ने कहा कि मामला गंभीर है और फैसला सुनाते समय संवेदनहीनता दिखाई गई। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने माना कि फैसला लेने में पूरे 4 महीने लगाए गए, इससे स्पष्ट होता है कि जस्टिस मिश्र ने गहरे विचार करने के बाद ही फैसला सुनाया था।
Who is Allahabad HC judge Ram Manohar Narayan Mishra pulled up Supreme Court for ‘grabbing breasts not rape’ ruling?https://t.co/Lp5z7AoTx4
---विज्ञापन---Insensitive behind the times ., Indian Judge and Judgement called into Supreme Court Purview. Breasts Grab and String Rip of girl pre-rape
— Yad Dhaliwal (@dr_yad) March 26, 2025
इस संगठन ने दायर की याचिका
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में ‘वी द वुमन ऑफ इंडिया’ नामक संगठन ने याचिका दायर की थी। इसके बाद ही न्यायालय ने स्वतः संज्ञान लिया और अपनी प्रतिक्रिया जस्टिस मिश्र के फैसले को लेकर दी। कोर्ट के अनुसार फैसला समाज में इस मुद्दे को लेकर सवाल उठाता है कि क्या रेप के प्रयास के मानदंडों को इस तरीके से परिभाषित किया जा सकता है?
1985 में पूरी की ग्रेजुएशन
इस समय जस्टिस मिश्र इलाहाबाद उच्च न्यायालय के बलरामपुर जिले के प्रशासनिक न्यायाधीश के तौर पर जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। उन्होंने 1985 में लॉ से ग्रेजुएशन पूरी की थी। 1987 में पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद 1990 में उत्तर प्रदेश ज्यूडिशियल सर्विस में काम करना शुरू किया था। इसके बाद 2005 में वे उच्च न्यायिक सेवाओं में प्रमोट हुए। 2019 में उन्होंने अलीगढ़ और बागपत जिलों में डिस्ट्रिक्ट और सेशन जज के तौर पर सेवाएं दीं। वे लखनऊ में न्यायिक प्रशिक्षण और अनुसंधान संस्थान के डायरेक्टर की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं। 15 अगस्त 2022 को उन्हें अतिरिक्त न्यायधीश की जिम्मेदारी मिली थी। सितंबर 2023 में वे स्थायी न्यायधीश बने।
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