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उत्तर प्रदेश / उत्तराखंड

छोटी-सी चूक से 10 जिंदगियां खत्म; बच सकती थी जान लेकिन…झांसी अग्निकांड के 2 चौंकाने वाले सच

Jhansi Hospital Fire: झांसी मेडिकल कॉलेज के चिल्ड्रन वार्ड में हुए अग्निकांड में मारे गए बच्चों की जान बच सकती है, लेकिन अस्पताल की चूक उन्हें जिंदगी के साथ ही मौत दे दी। पुलिस जांच में हादसे के पीछे की असली वजह सामने आई, जिसके बारे में जानकर लोग भड़क गए।

Author Edited By : Khushbu Goyal Updated: Nov 16, 2024 07:54

Jhansi Medical College Fire: उत्तर प्रदेश के झांसी जिले में महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में बीती रात हुए अग्निकांड में 10 बच्चों जिंदा जलकर मर गए, लेकिन इनकी जान बचाई जा सकती है। अस्पताल की लापरवाही और चूक ने उन्हें दुनिया में आते ही मौत की नींद सुला दिया। ADG जोन कानपुर आलोक सिंह ने मीडिया को ब्रीफ करते हुए बताया कि चिल्ड्रन वार्ड में आग इलेक्ट्रिक शॉर्ट सर्किट के कारण लगी। आग धधकते हुए सिलेंडरों तक पहुंची और वे फट गए।

 

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फायर अलार्म और सुरक्षा उपकरण खराब थे

जैसे ही सिलेंडर फटे, वार्ड में आग भड़क गई, लेकिन आग लगने का पता अस्पताल स्टाफ को नहीं चला, क्योंकि अस्पताल में लगे फायर अलार्म नहीं बजे। लोगों ने धुंआ निकलते देखा तो शोर मचा। स्टाफ और लोग वार्ड की तरफ भागे। तब तक आग विकराल रूप ले चुकी थी, जिसे देखकर कोई अंदर जाने की हिम्मत नहीं कर पाया। आग बुझाने के उपकरण भी खराब थे, इसलिए वे भी काम नहीं आ सके। फायर ब्रिगेड के आने के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू हुआ, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी।

 

एक गेट के कारण बचाए नहीं जा सके बच्चे

बच्चों की मौत होने की दूसरी वजह चिल्ड्रन वार्ड में एक ही गेट होना भी रही। अगर दूसरा गेट होता तो वहां से वार्ड में ज्यादा लोग घुस पाते। ज्यादा बच्चों को बाहर निकाला जा सकता था, लेकिन एक गेट के कारण एक-एक करके फायर कर्मी अंदर गए और एक बार में 2 या 3 बच्चे ही बाहर लाए जा सके। खिड़कियां तोड़कर बच्चों को निकालना पड़ा, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। नन्ही जानें दम तोड़ चुकी थीं, ऐसे में 10 जिंदगियों के खत्म होने और बाकी की जान को खतरा होने के लिए अस्पताल को पूरी तरह से जिम्मेदार ठहराया जाता है। अस्पताल के प्राचार्य और डॉक्टर तो अब फोन भी नहीं उठा रहे हैं।

 

First published on: Nov 16, 2024 07:05 AM

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