Indira Gandhi Rajmata Vijaya Raje Scindia: लोकसभा चुनाव 2024 की तारीखों का ऐलान हो गया है, लेकिन अभी तक उत्तर प्रदेश की रायबरेली संसदीय सीट पर प्रत्याशियों का ऐलान न तो बीजेपी ही कर पाई है और न ही कांग्रेस। यहां सोनिया गांधी के चुनाव न लड़ने के फैसले के बाद से ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है। यहां 2004 से 2024 तक लगातार सोनिया गांधी सांसद रहीं। रायबरेली गांधी परिवार का गढ़ रहा है। यहां तक कि शाही परिवार का जादू भी इस सीट पर नहीं चल पाया था।
दरअसल, बात 1980 के लोकसभा चुनाव की है। यूपी की रायबरेली सीट से इंदिरा गांधी चुनाव लड़ रही थीं। इंदिरा गांधी को टक्कर देने के लिए जनता पार्टी ने बड़ा प्लान बनाया और राजमाता विजयाराजे सिंंधिया को मैदान में उतार दिया। मगर रायबरेली की जनता पर गांधी परिवार का ऐसा जादू था कि राजघराना भी कुछ नहीं कर पाया। नतीजा यह रहा कि विजयाराजे को करारी शिकस्त झेलनी पड़ी। माना जाता है कि उनके मैदान में उतरने से खुद इंदिरा गांधी भी हैरान थीं।
PM Shri @narendramodi sharing an anecdote from the early 1990s of his interaction with Rajmata Vijayaraje Scindia in his #MannKiBaat . pic.twitter.com/adbNL3MIz0
— Mann Ki Baat Updates मन की बात अपडेट्स (@mannkibaat) January 25, 2021
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मिले बस इतने वोट
इंदिरा गांधी के मुकाबले राजमाता कहीं टिक नहीं सकीं। इंदिरा गांधी ने विजयाराजे सिंधिया को 1,73,654 वोटों से हराया। उन्हें 2,23,903 वोट मिले जबकि विजयाराजे को महज 50, 249 वोट ही मिले। विजयाराजे सिंधिया ग्वालियर की राजमाता थीं। उनका वास्तविक नाम लेखा दिव्येश्वरी देवी देवी था। उनका जन्म 12 अक्टूबर 1919 को नेपाल में हुआ था। उनकी शादी जीवाजीराव सिंधिया से 1941 में हुई थी। माधवराव सिंधिया और वसुंधरा राजे उन्हीं की संतान हैं। 81 साल की उम्र में 12 अक्टूबर 2001 को उनका निधन हो गया।
जीत के बावजूद छोड़ दी सीट
रोचक बात यह रही कि पूर्व प्रधानमंत्री ने शानदार जीत दर्ज करने के बावजूद इस सीट को छोड़ दिया। इंदिरा गांधी ने आंध्र प्रदेश की मेडक सीट से भी चुनाव लड़ा था। यहां भी उनकी जीत हुई थी। उन्होंने मेडक सीट को बरकरार रखी, जबकि रायबरेली को छोड़ दिया।
At a time when most BJP leaders are getting afflicted with the "Dhritarashtra" syndrome, worth recalling Rajmata Vijayaraje Scindia, who broke off with her own son, when he quit Jan Sangh and joined Congress. A lady who put Dharma above family, a true Dharmik. pic.twitter.com/EUKSQO0QNF
— Ratnakar Sadasyula (@SadaaShree) December 8, 2023
रायबरेली में ‘छोटे लोहिया’ को भी मिली हार
इंदिरा गांधी के मेडक लोकसभा सीट से सांसद चुने जाने के बाद रायबरेली में 1980 में उपचुनाव हुए, जिसमें कांग्रेस के अरुण नेहरू ने जनेश्वर मिश्र को 1,07,290 वोटों से हराया था। अरुण को 1,76,456, जबकि जनेश्वर को 69,166 वोट मिले। जनेश्वर मिश्र को ‘छोटे लोहिया’ भी कहा जाता है। वह केंद्रीय मंत्री, लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य भी रहे।
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Vijaya Raje Scindia’s last great political involvement was the ‘Ram Janmabhoomi Movement’ to establish the Ram Mandir in Ayodhya.
Very few know that it was Vijayaraje Scindia ji who was first asked to conduct the famous Rath Yatra from Kamakhya in Assam to Ayodhya. pic.twitter.com/ijHrV1gUXr— Sunanda 🌺मोदी का परिवार 🌺🇮🇳 (@sunandasaxena) October 18, 2020
रायबरेली में पिछली बार बीजेपी कब जीती थी?
रायबरेली से बीजेपी को पिछली बार 1998 में जीत मिली थी, तब अशोक सिंह ने सपा के सुरेंद्र बहादुर सिंह को 40,722 वोटों से हराया। अशोक को 2,37,204, जबकि सुरेंद्र बहादुर को 1,96,482 वोट मिले थे। इसे पहले, 1996 में भी अशोक सिंह को जीत मिली थी। उन्होंने जनता दल के अशोक सिंह को 33,887 मतों से हराया था। बीजेपी के अशोक सिंह को 1,63,390, जबकि जनता दल के अशोक सिंह को 1,29,503 मत मिले।
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