Gyanvapi Case: उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित ज्ञानवापी परिसर में मौजूद कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग पर आज यानी शुक्रवार को हाईकोर्ट में सुनवाई है।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) की ओर से पेश की गई रिपोर्ट पर भी हाईकोर्ट विचार करेगा। सुनवाई के दौरान कथित शिवलिंग के कार्बन डेटिंग को लेकर भी कोई अहम फैसला आ सकता है। आशंका ये भी है कि कोर्ट की ओर से अगली तारीख भी दी जा सकती है।
17 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में भी हुई थी सुनवाई
बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में 17 अप्रैल को भी ज्ञानवापी मामले सुनवाई हुई थी। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी के जिलाधिकारी को निर्देश दिया था कि वजू की कोई व्यवस्था करें। इस दौरान राज्य सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि आगामी दिनों में जिलाधिकारी बैठक करके उचित फैसला करेंगे।
दोनों पक्षों का क्या-क्या है दावा?
जानकारी के मुताबिक ज्ञानवापी मस्जिद में मौजूद एक ढांचे को लेकर विवाद है। हिंदू पक्ष का कहना है कि ये शिवलिंग है, जबकि मुस्लिम पक्ष की ओर से दावा किया गया है कि वजू (हाथ धोने का स्थान) का फुव्वारा है। इसी को लेकर दोनों पक्षों का मामला कोर्ट में विचाराधीन है।
क्या है कार्बन डेटिंग और इसकी प्रक्रिया?
एक रिपोर्ट के मुताबिक कार्बन डेटिंग किसी भी चीज की सही उम्र का पता लगाने के लिए की जाती है। कार्बन डेटिंग प्रक्रिया का इस्तेमाल खास तौर पर पुरातत्व विभाग की ओर से किया जाता है। क्योंकि खोज में मिलने वाली मूर्तियों और ढांचों की सही उम्र का पता लगाया जाता है। दावा किया जाता है कि जिस भी चीज में कार्बन होता है, उसकी उम्र के लिए कार्बन डेटिंग की जाती है।