Haldwani Violence On Nazul land : उत्तराखंड के हल्द्वानी में पिछले दिनों अचानक से बवाल मच गया था, जिसमें 5 लोगों की जान चली गई। बनभूलपुरा में अवैध रूप से बने मदरसे और मस्जिद को हटाने पर हिंसा हुई थी। अब बड़ा सवाल उठता है कि जिस जमीन पर अवैध मदरसा और मस्जिद स्थित है, वह नजूल भूमि है। आइए जानते हैं कि क्या है नजूल भूमि।
क्या है नजूल भूमि
देश के कई जगहों पर नजूल की जमीन है। अंग्रेजों के जमाने में देसी रियासतें होती थीं। कुछ देसी रियासतें अंग्रेजों के सपोर्ट में रहती थीं तो कुछ विरोध में। जो राजा-महाराजा अग्रेजों का विरोध करते थे तो उन्हें ब्रिटिश फौज से लड़ाई लड़नी पड़ी थी। अगर युद्ध में देसी रिसायतें हार जाती थीं तो अंग्रेज उनकी जमीनों को अपने कब्जे में ले लेते थे। देश को आजादी मिलने के बाद अंग्रेजों ने देसी रियासतों की जमीनों को खाली कर दिया था, लेकिन राजा महाराजाओं के पास जमीन पर मालिकाना हक के लिए दस्तावेज नहीं थे। इसके बाद सरकार ने ऐसी जमीनों को नजूल भूमि घोषित कर दी।
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कौन होता है मालिक
राज्य सरकारों के पास नजूल की जमीन होती है, लेकिन ऐसी भूमि को सीधे तौर पर सरकार की संपत्ति नहीं कही जाती है। अक्सर राज्य सरकार नजूल की भूमि को लीज या पट्टे पर देती है। पट्टे की समय सीमा 15 साल से लेकर 99 साल तक होती है। सरकार के पास पावर होती है कि वह नजूल की जमीन के पट्टे को कभी भी रद्द कर सकती है। इसके बाद उस व्यक्ति को नजूल की भूमि को खाली करना पड़ेगा।
#WATCH | Haldwani violence: Paramilitary forces reach Haldwani, Nainital in Uttarakhand. pic.twitter.com/Psvxrj51vV
— ANI (@ANI) February 11, 2024
क्या है कानून
नजूल भूमि को लेकर सभी राज्यों में अलग-अलग कानून और नियम हैं। इसके लिए नजूल भूमि (स्थानांतरण) नियम, 1956 का कानून है। सरकार नजूल जमीन का उपयोग स्कूल, अस्पताल, पंचायत भवन आदि खोलने में करती है।
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क्यों हुई हल्द्वानी हिंसा
हल्द्वानी में जिस जमीन पर मस्जिद और मदरसा स्थित है, वह नजूल भूमि है। इसे लेकर जिला प्रशासन ने नोटिस जारी कर अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था। साथ ही मस्जिद और मदरसा के संचालकों को तीन दिन के अंदर जमीन के मालिकाना हक के दस्तावेज उपलब्ध करने के लिए कहा गया था।