Ganga Vilas Cruise: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के वाराणसी (Varanasi) से डिब्रूगढ़ के लिए 51 दिनों की यात्रा पर रवाना हुआ गंगा विलास क्रूज (Ganga Vilas Cruise) बिहार के सारण में अटका नहीं था। बल्कि क्रूज में सवार पर्यटकों की मांग पर उन्हें नावों के जरिए किनारे पर भेजा गया था। यह बयान क्रूज को संचालित करने वाली कंपनी की ओर से मीडिया में दिया गया है।
कंपनी ने मीडिया में आई खबरों का किया खंडन
जानकारी के मुताबिक क्रूज को संचालित करने वाली कंपनी के चेयरमैन राज सिंह ने मीडिया में एक बयान जारी किया है। उन्होंने कहा कि एमवी गंगा विलास क्रूज अटका नहीं था। ऐसा दावा करने वाली खबरें बिल्कुल गलत हैं। बता दें कि कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि गंगा में उथले पानी के कारण बिहार के छपरा (सारण) में यात्रा के तीसरे दिन क्रूज फंस गया है और छोटी नावों से पर्यटकों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया है।
जहाज हर समय नदी की मुख्य धारा में रहता है
कंपनी के मालिक राज सिंह ने बताया कि नदी में एंकर डाला गया था। इसके बाद पर्यटकों ने नावों से दर्शनीय स्थानों तक जाने की इच्छा जताई थी। उन्होंने कहा कि बड़े जहाज हमेशा मुख्य चैनल में रहते हैं। ये जहाज किनारे पर नहीं जा सकते। क्योंकि ये भी एक बड़े जहाज की तरह क्रूज जहाज है।
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पर्यटकों और क्रूज की सुरक्षा सबसे पहले
इस दौरान क्रूज में सवार पर्यटकों ने स्थानीय साइट चिरांड (पुरातात्विक स्थल) का भ्रमण किया। उन्होंने कहा कि क्रूज का एंकर नदी की मुख्य धारा में डाला गया था। इसके पीछे यात्रियों और क्रूज की सुरक्षा का भी मुद्दा है। उन्होंने कहा कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है। हम सुरक्षा को लेकर एहतियात बरत रहे हैं।
इन स्थानों का होगा भ्रमण
बता दें कि अपनी तरह का पहला क्रूज विश्व विरासत स्थलों, राष्ट्रीय उद्यानों, नदी घाटों, झारखंड में शाहीगंज, पश्चिम बंगाल में कोलकाता, असम में गुवाहाटी और बांग्लादेश में ढाका जैसे प्रमुख शहरों समेत 50 पर्यटन स्थलों को कवर करेगा। 13 जनवरी को पीएम मोदी ने वर्चुअली इस क्रूज को हरी झंडी दिखाई थी। जिसके बाद यह क्रूज अपनी 51 दिनों की यात्रा पर रवाना हुआ था।
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