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उत्तर प्रदेश / उत्तराखंड

न्याय नहीं मिलने पर दलित दम्पति जिंदा समाधि लेने पर तुला, देवरिया पुलिस ने बचाई जान

उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में एक दलित परिवार ने न्याय न मिलने से विवश होकर जिंदा समाधि लेने का फैसला किया है। हालांकि, पुलिस ने समय रहते पूरे परिवार की जान बचा ली। चलिए जानते हैं कि पूरा मामला क्या है?

Author Edited By : Pooja Mishra Updated: Apr 15, 2025 15:22
Deoria News Hindi

शैलेश कुमार मिश्रा, देवरिया

उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां एक दलित परिवार ने न्याय न मिलने से विवश होकर जिंदा समाधि लेने का फैसला किया है। इतना ही नहीं, इस परिवार ने तो जिंदा समाधि की पूरी प्लानिंग भी कर ली थी। लेकिन, ग्रामीणों ने तुरंत पुलिस और प्रशासन को इसकी सूचना दी। जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और परिवार को समझाया और नदी से बाहर निकाला। दलित परिवार द्वारा उठाया गया यह कदम प्रशासनिक और न्याय व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रहा है।

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जिंदा समाधि लेने का फैसला

यह मामला देवरिया जिले के खुखुन्दू थाना क्षेत्र के पतलापुर गांव का है। इस गांव में भूमि विवाद से परेशान होकर एक बुजुर्ग पति-पत्नी रामनरेश और गुच्ची देवी ने खुद को ‘जिंदा समाधि’ देने का प्रयास किया। हालांकि, गांव के ग्रामीणों ने तुरंत पुलिस और प्रशासन को सूचित किया। सूचना मिलते ही खुखुन्दू थाना पुलिस ने मौके पर पहुंचकर समय रहते बुजुर्ग दंपती की जान बचा ली। उनके साथ नायब तहसीलदार और हल्का लेखपाल की टीम भी मौके पर पहुंची और पूरी स्थिति का जायजा लिया।

अधिकारियों से लगाई गुहार

मामला नवीन परती जमीन से जुड़ा है, जिस पर फिलहाल चार लोगों के कब्जे की बात सामने आ रही है। दलित परिवार का दावा है कि उक्त जमीन उनके हिस्से की है, लेकिन वर्षों से उन्हें उनका हक नहीं मिल पा रहा। उन्होंने कई बार प्रशासनिक अधिकारियों से गुहार लगाई, लेकिन हर बार उन्हें सिर्फ आश्वासन मिला।

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समाधि लेने वाली महिला ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि हम कई सालों से अपनी जमीन के लिए न्याय मांग रहे हैं। अधिकारी सिर्फ भरोसा देते हैं, लेकिन जमीन पर कब्जा करने वालों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती। हमारी बात को लगातार नजरअंदाज किया गया, इसलिए हमें यह कदम उठाना पड़ा।

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घटना के बाद प्रशासन हरकत में आया और अधिकारियों ने मौके पर ही जांच के आदेश दिए। हल्का लेखपाल ने भूमि का निरीक्षण कर रिपोर्ट तैयार करने की बात कही है।

सिस्टम से निराश परिवार

यह घटना स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि जब हाशिए पर खड़े लोगों की आवाज को बार-बार अनसुना किया जाता है, तो वे सिस्टम से निराश होकर ऐसे कठोर कदम उठाने को विवश हो जाते हैं। यह सिर्फ एक जमीन का मामला नहीं, बल्कि न्याय और अधिकार के लिए एक संघर्ष की कहानी है। प्रशासन को इस पूरे मामले में तत्काल और पारदर्शी कार्रवाई करनी होगी। ताकि पीड़ित परिवार को न्याय मिल सके और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

First published on: Apr 15, 2025 03:22 PM

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