खांसी की दवा से बच्चों की मौत से पूरे देश में हड़कंप मचा हुआ है. राजस्थान और मध्य प्रदेश में सबसे अधिक मौतें हुई हैं. मध्य प्रदेश में सबसे अधिक 16 बच्चों की मौत हुई है. मध्य प्रदेश में बच्चों को दी जाने वाली दवा की जांच की गई तो कुछ गड़बड़ियां सामने आई हैं. इस बीच स्वास्थ्य सचिव की तरफ से उच्च स्तरीय बैठक बुलाई गई और बच्चों को दी जाने वाली खांसी की दवा को लेकर निर्देश जारी किए गए हैं.
बाल सुरक्षा और जन स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए स्वास्थ्य सचिव एवं आयुक्त, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन डॉ. आर. राजेश कुमार ने राज्य भर के सभी जिलाधिकारियों और मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं. भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा 3 अक्टूबर, 2025 को जारी एडवाइजरी के अनुपालन में राज्य में बच्चों के लिए कफ सिरप के तर्कसंगत उपयोग पर विशेष जोर दिया जा रहा है.
डॉ. आर. राजेश कुमार ने कहा कि दो साल से कम उम्र के बच्चों को किसी भी प्रकार की खांसी या सर्दी की दवा नहीं दी जानी चाहिए. 5 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए, ऐसी दवाओं के नियमित उपयोग नहीं करने की सलाह दी गई है. इनका उपयोग केवल विशेषज्ञ चिकित्सक की सलाह पर सही खुराक में और न्यूनतम आवश्यक अवधि के लिए ही किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि अधिकांश मामलों में बच्चों में खांसी और सर्दी अपने आप ठीक हो जाती है, इसलिए डॉक्टरों को इन दवाओं के अनावश्यक उपयोग से सख्ती से बचना चाहिए.
स्वास्थ्य सचिव ने सभी जिलों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि औषधि निरीक्षक चरणबद्ध तरीके से कफ सिरप के नमूने एकत्र करें और प्रयोगशालाओं में उनका परीक्षण करवाएं. इससे बाजार से घटिया या हानिकारक दवाओं की पहचान करने और उन्हें तुरंत हटाने में मदद मिलेगी. उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि सभी डॉक्टर और फार्मासिस्ट केंद्रीय परामर्श का कड़ाई से पालन करें.
मध्य प्रदेश और राजस्थान में कफ सिरप से हो रही नवजात शिशु और बच्चों की मौत को देखते हुए महाराष्ट्र फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने कोल्ड्रिफ सिरप की बिक्री और उपयोग पर रोक लगा दी है. उत्तर प्रदेश के ड्रग्स विभाग ने कफ सिरप की जांच के आदेश दे दिए हैं. इसके साथ ही कोल्ड्रिफ कफ सिरप को मध्य प्रदेश, केरल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र में बैन कर दिया गया है.










