Uttar Pradesh Noida News (जुनेद अख्तर) : सीबीआई (CBI) नोएडा प्राधिकरण (Noida Authority) की स्पोर्टस सिटी परियोजना की जांच कर रही है। अभी तक की जांच में पता चला है कि स्पोर्टस सिटी के भूखंड उन कंपनियों को भी आवंटित कर दिए गए, जिनके पास खेलों से संबंधित निर्माण या विकास का कोई अनुभव नहीं था। सीबीआई का दावा है कि इस परियोजना में कुछ बिल्डरों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया है। इस पूरे प्रकरण में प्राधिकरण के करीब 100 से ज्यादा अधिकारी और कर्मचारी शामिल हैं। बताया जा रहा है कि यह सभी अधिकारी इस परियोजना के समय 2008 से 2014 तक नोएडा प्राधिकरण में तैनात रहे थे।
2016 में पूरी होनी थी योजना
कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि योजना में कंपनियों को भूखंड आवंटित करने के लिए सिर्फ एक ही मानदंड का सहारा लिया गया और वह था रियल एस्टेट परियोजनाओं को विकसित करने का अनुभव। शर्तों के मुताबिक, स्पोर्ट्स प्लॉट के कब्जे का पहला चरण 0 से 3 साल, दूसरा चरण 3 से 5 साल और तीसरा चरण 5 से 8 साल में पूरा होना था। यानी पूरी योजना 2016 तक पूरी होनी थी। लेकिन यह अब तक पूरी नहीं हो सकी। प्राधिकरण ने भी माना कि टेंडर की शर्तों में उनसे गलती हुई है। फिलहाल कैग रिपोर्ट के आधार पर प्राधिकरण के कई पूर्व अधिकारियों पर कार्रवाई तय मानी जा रही है।
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प्राधिकरण ने शुरू से बरती लापरवाही
कैग ने यह भी कहा कि 2007 में प्राधिकरण बोर्ड ने कॉमनवेल्थ गेम्स जैसे आयोजनों के लिए स्पोर्ट्स सिटी की अवधारणा बनाई थी। इसके बाद भी टेंडर में खेल ढांचे और सुविधाओं के अनुभव जैसी शर्तें शामिल नहीं की गईं। यही वजह है कि अब तक स्पोर्ट्स सिटी में एक भी खेल सुविधा विकसित नहीं हो सकी। सीएजी की इस आपत्ति पर सितंबर 2020 में प्राधिकरण का जवाब आया। जिसमें प्राधिकरण ने माना कि योजना में खेल सुविधाएं विकसित नहीं की जा सकतीं। टेंडर में जिस तरह से नियम और शर्तें शामिल की गईं। जिस तरह से इसे लागू किया गया, वह गलत था। भविष्य में इस पर ध्यान दिया जाएगा।
9000 करोड़ का वित्तीय लाभ पहुंचाया
ऐसे में साफ है कि प्राधिकरण ने सिर्फ रियल एस्टेट कंपनियों को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए योजना में खेल ढांचे से जुड़ी कोई शर्त शामिल नहीं की और कम दरों पर भूखंड आवंटित कर करीब 9000 करोड़ का वित्तीय लाभ पहुंचाया। अब इस मामले में सीबीआई ने अपनी जांच शुरू कर दी है। सोमवार को सीबीआई की टीम एक बार फिर अधिकारियों से पूछताछ कर सकती है।
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स्पोर्ट्स एक्टिविटी के नाम पर करोड़ों का बिल बनाया
स्पोर्टस सिटी परियोजना में कई खेलों को बढ़ावा देने के लिए निर्माण कार्य किया जाना था। इसे लेकर उस समय प्राधिकरण में तैनात अधिकारियों ने बजट बनाकर उसे जारी भी कर दिया था। कैग रिपोर्ट के मुताबिक गोल्फ कोर्स (नौ होल्स) की निर्माण करीब 40 करोड़ रुपए दर्शाया गया। मल्टीपर्पज प्ले फील्ड का निर्माण 10 करोड़ रुपए का खर्चा दिखाया गया। टेनिस सेंटर का निर्माण 35 करोड़ रुपए, स्विमिंग सेंटर का निर्माण 50 करोड़ रुपए, प्रो-शाप्स/फूड बेवरेज का निर्माण 30 करोड़ और आईटी सेंटर / एडमिनिस्ट्रेशन / मीडिया सेंटर 65 करोड़ रुपए का टेंडर जारी किया गया। इसी तरह इंडोर मल्टीपर्पज स्टोर्स (जिम्नैस्टिक्स, बैडमिंटन, टेबल टेनिस और स्कायश, बास्केट बाल, वाली वाल रॉक क्लाइंबिंग) 30 करोड़ का खर्चा दिखाया गया। इसके अलावा क्रिकेट अकादमी, इंटरनल रोड एंड पार्क 25 करोड़ और हॉस्पिटल सीनियर लिविंग/मेडिसिन सेंटर 60 करोड़ रुपए का टेंडर जारी किया गया था।
कई अधिकारियों और कर्मचारियों की हो चुकी मौत
नोएडा प्राधिकरण की स्पोर्टस सिटी परियोजना 2008 से शुरू हुई थी। इसे 2016 तक पूरा होना था, लेकिन यह प्राधिकरण का भ्रष्टाचार निकला। सीबीआई अब इस परियोजना के दौरान 2008 से 2014 तक प्राधिकरण में तैनात अधिकारियों और कर्मचारियों से पूछताछ करने की तैयारी कर रही है। बताया जा रहा है कि इनमें से कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों की मौत भी हो चुकी है। ऐसे में सीबीआई को जांच के दौरान काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। वहीं, ईडी भी इस मामले की गहनता से जांच कर रही है। इस मामले में ईडी ने पिछले दिनों कई बिल्डरों के दफ्तर और घर पर छापेमारी कर कई दस्तावेजों को जांच के लिए कब्जे में लिया है।
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50 से ज्यादा बिल्डरों से होगी वसूली
सीबीआई की जांच शुरू होने के बाद इस मामले में नोएडा प्राधिकरण सीईओ ने अनुचित लाभ लेने वाले 50 से ज्यादा बिल्डरों पर नकेल कसना शुरू कर दिया है। इस बिल्डरों से वसूली की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। सूत्रों से पता चला है कि बिल्डर भी प्राधिकरण अधिकारियों का सहयोग कर रहे हैं और जल्द ही सारी रकम वापस करने की बात कह रहे हैं। कई बिल्डरों ने सीबीआई, ईडी और प्राधिकरण की कार्रवाई से बचने के लिए पैसा वापस करने की तैयारी शुरू कर दी है।