सब्सिडी योजना मामले की जांच कर रही सीबीआई ने नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण से जांच में शामिल विभिन्न ग्रुप हाउसिंग प्लॉटों की जानकारी मांगी है। इनमें मुख्य रूप से प्लॉट के मूल आवंटन, उप-विभाजन और प्राधिकरण के बकाया से जुड़े सवाल शामिल हैं। सीबीआई द्वारा दर्ज किए गए 22 मामलों में जिले के तीनों प्राधिकरणों के क्षेत्र की 20 प्रोजेक्ट शामिल हैं। 10 हजार से ज्यादा फ्लैट खरीदारों के बैंक लोन को खंगालेगी।
बिल्डरों ने 2017-18 तक की थी लॉन्च
सब्सिडी योजना के तहत 2014 में नोएडा और ग्रेटर नोएडा में ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट लाए गए। बिल्डरों ने इन्हें 2017-18 तक लॉन्च कर दिया था। बिल्डरों ने बैंकों से हाथ मिलाकर फ्लैट खरीदारों से इस वादे के साथ लोन लिया था कि वे कब्जा मिलने तक बैंक की किश्तें चुकाते रहेंगे। इनमें से ज्यादातर बिल्डर दिवालिया हो गए। फ्लैट खरीदार इन्हीं में फंसे हुए हैं। खरीदारों की याचिका पर पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट में है। 2 दिन पहले की गई छापेमारी में सीबीआई को कई अहम तथ्य मिले हैं। साथ ही, लोन देने वाले बैंकों के तत्कालीन अधिकारियों का ब्योरा भी मिल सकता है।
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सबसे ज्यादा 11 सुपरटेक बिल्डर प्रोजेक्ट
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जांच कर रही सीबीआई ने इस योजना में हुई धोखाधड़ी में 28 जुलाई को नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण क्षेत्रों के साथ-साथ गाजियाबाद और गुड़गांव में 22 मामले दर्ज किए हैं। गौतमबुद्ध नगर के तीनों प्राधिकरण क्षेत्रों के 20 प्रोजेक्ट और उनके बिल्डर इसमें शामिल हैं। इसमें सबसे ज्यादा 11 सुपरटेक बिल्डर के हैं। जेपी ग्रुप के तीन प्रोजेक्ट हैं। इन प्रोजेक्ट में सब्सिडी स्कीम के साथ-साथ अन्य विकल्पों के जरिए भी फ्लैट बेचे गए हैं।
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10 हजार खरीदारों की भी होगी जांच
सीबीआई को शुरुआती तौर पर उन खरीदारों के बारे में पता चला है जिनकी याचिका को मामले में शामिल किया गया है। अब 10 हजार से ज्यादा खरीदारों का ब्योरा निकाला जाएगा। इसलिए, ये प्रोजेक्ट और इनमें फ्लैटों की बिक्री जांच के दायरे में हैं। जांच में फंड डायवर्जन की दिशा तय होनी है। ऐसे में बिल्डरों के अन्य प्रोजेक्ट और कंपनियां भी जांच के दायरे में आएंगी।










