Uttar Pradesh Greater Noida News (जुनेद अख्तर) : नोएडा-ग्रेटर नोएडा में लोगों को पैसा देने के बाद भी अपने घर के लिए जद्दोजहद करनी पड़ती है। ताजा मामला ग्रेटर नोएडा के सेक्टर 26ए स्थित एनआरआई टाउनशिप प्रोजेक्ट (NRI Township Project) से जुड़ा है। बताया जाता है कि इस प्रोजेक्ट में 1400 लोगों ने प्लॉट खरीदा है, लेकिन 15 साल बाद भी उन्हें घर नहीं मिल पाया है। खरीदारों का आरोप है कि बिल्डर एसडीएस इंफ्राकॉन प्राइवेट लिमिटेड ( SDS Infracon Pvt Ltd) और यमुना प्राधिकरण (Yamuna Authority) एक दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे हैं, जिसके चलते साल दर साल गुजरते जा रहे हैं, लेकिन उन्हें घर नहीं मिल रहा है।
बिल्डर मांग रहा पांच गुना ज्यादा पैसा
खरीदारों का कहना है कि उनके जीवन का एक पड़ाव गुजर गया लेकिन बिल्डर और प्राधिकरण के कारण घर का सपना पूरा नहीं हो सका है। खरीदार रेनू वर्मा, केके त्रिपाठी, दिनेश सिंह और तरुण शर्मा कहना है कि उन्होंने जवानी में प्लॉट खरीदा था, अब वह बुढ़ापे की तरफ से बढ़ रहे हैं, लेकिन आज तक रजिस्ट्री नहीं हुई है। प्लॉट के आसपास सिर्फ जंगल है। बिल्डर और प्राधिकरण कोई काम नहीं कर रहा है। 900 से ज्यादा लोगों की रजिस्ट्री अटकी हुई है, जबकि 500 से ज्यादा लोगों को रजिस्ट्री के बाद भी बुनियादी सुविधाएं नहीं मिली। खरीदारों का आरोप है कि बिल्डर ने अचानक 5 गुना ज्यादा पैसों की मांग कर दी है। इस मांग का विरोध करने के बाद भी कोई समाधान नहीं हुआ।
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बिल्डर पर यमुना प्राधिकरण का 650 करोड़ बकाया
खरीदारों का कहना है कि यमुना प्राधिकरण ने सुविधाएं पूरी किए बिना ही बिल्डर को अस्थाई सीसी दे दी, जिससे उनकी परेशानी बढ़ गई है। टाउनशिप का लेआउट भी 2018 से स्वीकृत नहीं हुआ है, जिसके चलते जिनकी रजिस्ट्री हो चुकी है, उन्हें बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल रही है। खरीदारों की मांग है कि जल्द से जल्द टाउनशिप का नक्शा पास किया जाए। बिल्डर द्वारा मांगे जा रहे 5 गुना ज्यादा पैसों की वसूली बंद की जाए। बिल्डर पर यमुना प्राधिकरण का 650 करोड़ रुपया बकाया है, जिसके चलते प्रोजेक्ट में देरी हो रही है।
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समाधान का भरोसा दिया, समय सीमा पर चुप्पी साधी
बिजली, पानी, सड़क जैसी मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराई जाएं। जिनकी रजिस्ट्री नहीं हुई है, उनकी रजिस्ट्री कराई जाए। बिल्डर दीपक बंसल के प्रतिनिधि देवेश कुमार ने बायर्स को जल्द समाधान का आश्वासन दिया है, लेकिन कोई समय सीमा नहीं बताते हुए चुप्पी साध ली।