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बदायूं में जामा मस्जिद या नीलकंठ महादेव मंदिर; इस तारीख को होगी अगली सुनवाई; जानें मामला

Badaun Jama Masjid Dispute: उत्तर प्रदेश में 2022 में एक मस्जिद को लेकर चौंकाने वाला दावा सामने आया था। हिंदू पक्ष ने यहां मंदिर होने का हवाला दिया था। मामले की सुनवाई कोर्ट में चल रही है। शनिवार को मुस्लिम पक्ष ने फिर से अपना पक्ष रखा है। विस्तार से मामले के बारे में जानते हैं।

Edited By : Parmod chaudhary | Updated: Dec 1, 2024 15:17
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Badaun Jama Masjid

Uttar Pradesh News: यूपी के संभल में जामा मस्जिद के सर्वे को लेकर बवाल हो चुका है। हिंदू पक्ष ने यहां मंदिर होने का दावा किया था। इससे पहले यूपी के बदायूं स्थित मस्जिद को लेकर चौंकाने वाला दावा किया गया था। इस मामले में फिर से शनिवार को सुनवाई हुई। हिंदू पक्ष ने कहा था कि यहां नीलकंठ महादेव मंदिर था। यह मामला फिलहाल फास्ट ट्रैक कोर्ट में चल रहा है। कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 3 दिसंबर की तारीख तय की है। बदायूं के सिविल जज (सीनियर डिवीजन) अमित कुमार की कोर्ट में इस पर बहस हुई। 30 नवंबर को मस्जिद इंतजामिया कमेटी के अधिवक्ता ने अपना पक्ष रखा। कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 3 दिसंबर की तारीख मुकर्रर की है।

मुस्लिम पक्ष ने दावा ठुकराया

यह मामला 2022 में भी चर्चित रहा था। तब अखिल भारत हिंदू महासभा ने दावा किया था। महासभा के प्रदेश संयोजक मुकेश पटेल ने कहा था कि मस्जिद की जगह पर पहले नीलकंठ महादेव मंदिर था। उन्होंने कोर्ट में याचिका दाखिल कर यहां नियमित पूजा करने की अनुमति मांगी थी। जामा मस्जिद पक्ष ने इस दावे को गलत ठहराया था। मुस्लिम पक्ष ने कहा था कि महासभा को ऐसी याचिका दाखिल करने का अधिकार नहीं है। शनिवार को फिर से कोर्ट ने मस्जिद पक्ष की बहस सुनी। कमेटी के अधिवक्ता अनवर आलम की ओर से पक्ष रखा गया।

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इस मामले में सरकार भी कोर्ट में पक्ष रख चुकी है। पुरातत्व विभाग ने भी अपनी रिपोर्ट न्यायालय को सौंप दी है। मामले में शाही मस्जिद कमेटी भी अपनी बहस पूरी कर चुकी है। अब अगली सुनवाई पर सबकी नजर है। इस मामले में मुस्लिम पक्ष का दावा है कि ये मस्जिद 850 साल पुरानी है। यहां नीलकंठ महादेव मंदिर होने का दावा गलत है। यहां पूजा अर्चना की अनुमति देने का कोई आधार बनता ही नहीं।

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ओवैसी ने की ये मांग

AIMIM के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी भी मामले में अपना पक्ष रख चुके हैं। उनका कहना है कि सरकार को 1991 एक्ट के तहत अपनी बात रखनी चाहिए। आने वाली नस्लों को AI की पढ़ाई के बजाय ASI की खुदाई में व्यस्त किया जा रहा है, जो कतई सही नहीं है। बता दें कि अखिल भारत हिंदू महासभा के प्रदेश संयोजक मुकेश पटेल के अलावा ज्ञान प्रकाश, अरविंद परमार, उमेश चंद्र शर्मा और डॉक्टर अनुराग शर्मा ने वाद दायर किया था।

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Edited By

Parmod chaudhary

First published on: Dec 01, 2024 03:17 PM

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