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उत्तर प्रदेश / उत्तराखंड

मां-बाप की मर्जी के खिलाफ शादी करने वालों के लिए HC का बड़ा फैसला, नहीं मिलेगी सुरक्षा

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शादी को लेकर बड़ा फरमान सुनाया है। एक प्रेमी जोड़े ने पुलिस सुरक्षा मांगते हुए याचिका दायर की थी, जिसका निपटारा करते हुए बेंच ने फैसला सुनाया है। मामला मां-बाप की मर्जी के खिलाफ जाकर अपनी मर्जी से शादी करने का है।

Author Edited By : Khushbu Goyal Updated: Apr 17, 2025 07:08
Allahabad High Court Verdict

उत्तर प्रदेश की इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मां-बाप की मर्जी के खिलाफ शादी करने वालों के लिए एक फैसला सुनाया है। एक याचिका का निपटरा करते हुए हाईकोर्ट की बेंच ने आदेश दिया कि मां-बाप की इच्छा के विरुद्ध अपनी मर्जी से विवाह करने वालों को पुलिस सुरक्षा नहीं मिलेगी। वे पुलिस सुरक्षा का दावा भी नहीं कर सकेंगे, जब तक उनकी जान को और उनकी स्वतंत्रता को खतरा न हो।

हाईकोर्ट बेंच ने कहा कि अपनी मर्जी से शादी करने वाले प्रेमी जोड़े को एक दूसरे का समर्थन करना आना चाहिए। समाज का सामना करना सीखना चाहिए। हाईकोर्ट बेंच ने यह फैसला मां-बाप की मर्जी के खिलाफ अपनी मर्जी से शादी करने वाले एक प्रेमी जोड़े द्वारा सुरक्षा की मांग करते हुए दायर की गई याचिका का निपटारा करते हुए सुनाया। प्रेमी जोड़े ने अपनी मर्जी से शादी कर ली है।

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बेंच को दोनों की जान के खतरा नहीं लगा

NDTV की रिपोर्ट के अनुसार, हाईकोर्ट के जस्टिस सौरभ श्रीवास्तव ने केस की सुनवाई की। याचिका श्रेया केसरवानी और उनके पति द्वारा दायर की गई थी। याचिका में पुलिस सुरक्षा मांगी गई थी। उनके वैवाहिक जीवन में हस्तक्षेप न करने का निर्देश परिजनों को देने की मांग की गई थी।

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हाईकोर्ट ने याचिका में की गई उनकी मांगों पर विचा किया और सभी पहलुओं को जानने के बाद याचिका का निपटारा कर दिया। जस्टिस न कहा कि याचिकाकर्ताओं को कोई गंभीर खतरा नहीं है। उनकी जान को खतरा नहीं है, इसलिए उन्हें सुरक्षा नहीं दी जा सकती।

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हाईकोर्ट ने दिया सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला

याचिका का निपटारा करते हुए हाईकोर्ट ने लता सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला दिया। साथ ही जस्टिस ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को पुलिस सुरक्षा प्रदान करने की आवश्यकता नहीं है। कोर्ट का उद्देश्य ऐसे युवाओं को सुरक्षा प्रदान करना नहीं है, जो केवल अपनी इच्छा से विवाह करने के लिए भाग गए हैं।

ऐसा कोई तथ्य या कारण नहीं है, जिससे यह निष्कर्ष निकाला जा सके कि याचिकाकर्ताओं का जीवन और स्वतंत्रता खतरे में है। ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है, जो यह साबित करे कि याचिकाकर्ताओं के रिश्तेदारों या परिजनों ने उन पर शारीरिक या मानसिक हमला किया हो या कर सकते हैं। इसलिए सुरक्षा नहीं दी जा सकती।

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First published on: Apr 17, 2025 06:02 AM

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