Allahabad High Court: समाज में तेजी से बढ़ रहे लिव-इन रिलेशनशिप और ओपन रिलेशनशिप के मामलों में इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने दो अलग-अलग अहम टिप्पणियां की है। ओपन रिलेशनशिप को लेकर कोर्ट ने कहा कि देश के युवा अपना जीवन बर्बाद कर रहे हैं। वहीं, लिव-इन पर कोर्ट ने कहा है कि बिना तलाक आपके सुरक्षा का अधिकार नहीं है।
सोशल मीडिया और वेब सीरीज को बताया कारण
हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने झांसी की एक युवती के साथ अपहरण, बलात्कार और आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान टिप्पणी दी। हाईकोर्ट ने कहा कि ओपन संबंध के लालच में आज देश के युवा खुद को और अपने जीवन को बर्बाद कर रहे हैं। इसके लिए हाईकोर्ट ने जोर देकर कहा कि युवा पाश्चत्य सभ्याता को अपना रहे हैं। ऐसे में उन्हें अपना वास्तवित जीवनसाथी भी नहीं मिल पा रहा है।
हाईकोर्ट ने कहा कि आज सोशल मीडिया, फिल्म और वेव सीरीज देखकर युवा अपने जीवन की दिशा तय करने से भटक गया है। गलत संगतों में पड़ रहा है। इसी का एक रूप है ओपन रिलेशनशिप। ये रिश्ते बाद में ऐसे मोड़ पर पहुंच जाते हैं कि हत्या, गैर इरादतन हत्या या फिर आत्महत्या के लिए उकसाने जैसी वारदातें सामने आती हैं।
…तो सुरक्षा का कोई कानूनी अधिकार नहीं है
दूसरा मामला लिव-इन रिलेशनशिप के मामले से जुड़ा हुआ है। हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह एक विवाहित महिला और उसके लिव-इन पार्टनर की ओर से दायर सुरक्षा याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि महिला ने अपने पति को तलाक नहीं दिया है, इसलिए उसे और उसके लिव-इन पार्टनर को सुरक्षा मांगने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है।
जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा की पीठ ने इस मामले में टिप्पणी की। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि महिला और उसके लिव-इन पार्टनर ने महिला के पति से खतरे की आशंका जताते हुए हाईकोर्ट का रुख किया था। इसमें कहा गया था कि वे हिंदू हैं और वयस्क हो चुके हैं। वर्तमान में प्यार करते हैं और लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे हैं।