Lok Sabha Election 2024 (अशोक कुमार तिवारी) : अयोध्या में भगवान रामलला की भव्य प्राण प्रतिष्ठा के बाद बीजेपी उत्साहित है। बीजेपी के सभी बड़े नेता रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को उपलब्धि के तौर पर गिना रहे हैं, लेकिन पीडीए की राह पर चलने वाले अखिलेश यादव भी अब हिंदुत्व के एजेंडे पर थोड़ा नरम पड़ने लगे हैं। हाल में अखिलेश यादव ने सपा मुख्यालय पर अपनी पत्नी और सांसद डिंपल यादव के साथ भगवान शालिग्राम शिला का पूजन किया।
सपा सांसद डिंपल यादव ने भगवान शालिग्राम के सामने नारियल फोड़ा। अखिलेश-डिंपल ने एक साथ मिलकर पूजा-अर्चना की। इसी शिला से इटावा में केदारेश्वर मंदिर का शिवलिंग बनकर तैयार हो रहा है। सपा मुखिया अखिलेश यादव केदारेश्वर मंदिर का निर्माण करवा रहे हैं। अब चुनावी चर्चा है कि चुनाव से पहले अखिलेश वहां शिव मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कराना चाहते हैं। इटावा में केदारेश्वर मंदिर का निर्माण बहुत तेजी से हो रहा है।
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बिना हिंदू मतों के यूपी में सपा की जमीन नहीं हो पाएगी मजबूत
माना जा रहा है कि अखिलेश इस बात को बखूबी समझ चुके हैं कि अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के बाद बीजेपी सियासी तौर पर काफी आगे निकल रही है। लिहाजा, केदारेश्वर मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के माध्यम से अखिलेश यादव सनातनियों को यह संदेश देना चाहते हैं कि उनकी आस्था सनातन में कम नहीं है तो क्या सपा सुप्रीमो सॉफ्ट हिंदुत्व से दूर नहीं रहना चाहते हैं, क्योंकि वे अच्छी तरह जानते हैं कि बिना हिंदू मतों को साथ लिए उत्तर प्रदेश में सपा की जमीन मजबूत नहीं हो पाएगी।
सपा विधायकों ने बनाई थी राम मंदिर से दूरी
सियासी गलियारों में चर्चा है कि अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का न्योता अखिलेश यादव को भी मिला था, लेकिन उन्होंने कहा था कि जब भगवान बुलाएंगे तब वो वहां जाएंगे। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने भी विधायकों को रामलला के दर्शन करवाने का प्रबंध किया था, उस वक्त भी सपा विधायकों ने दूरी बनाई थी। इस पर सवाल खड़े हुए थे कि आखिर सपा राम मंदिर से दूरी क्यों बना रही है।
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क्या कहते हैं राजनीतिक दल
सपा प्रवक्ता मनोज यादव का कहना है कि बीजेपी ढोंग करती है। आखिर केदारेश्वर मंदिर पर सवाल क्यों उठ रहे हैं। अगर कोई राजनीतिक व्यक्ति मंदिर निर्माण करवा रहा है तो इसमें क्या बुराई है। वहीं, बीजेपी प्रवक्ता समीर सिंह ने कहा कि अखिलेश यादव ने काशी-अयोध्या का अपमान किया है। सपा भूल गई कि उनकी सरकार में ही कारसेवकों पर गोलियां चलाई गई थीं।
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क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक
राजनीति शास्त्र के प्रो. बृजेश मिश्र का कहना है कि अखिलेश यादव के केदारेश्वर मंदिर का कोई व्यापक प्रभाव नहीं पड़ेगा और उसका कोई सियासी लाभ भी नहीं मिलेगा। लोकल प्रभाव हो सकता है, क्योंकि साप के इतिहास में सॉफ्ट हिंदुत्व कभी नहीं रहा।