Action on nine thousand teachers of UP: उत्तर प्रदेश में योगी सरकार सरकारी स्कूलों शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के अनेकों उपाय करती है। बावजूद इसके सरकारी स्कूलों के शिक्षकों की ओर से दिखाई जा रही लापरवाही के चलते सरकार के फैसलों और उसकी व्यवस्थाओं पर पानी फिर जाता है। इसी लापरवाही के चलते अब यूपी के सरकारी स्कूलों में तैयार 9000 शिक्षकों के वेतन कटने की नौबत आ गई है, जिसके चलते अब सरकार के निर्देश पर सरकारी स्कूलों के चिंन्हित इन 9 हजार शिक्षकों का वेतन काटा जाएगा। आपको बताते चलें कि उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पढ़ाई की गुणवत्ता जांचने के लिए बीते दिनों चलाए गए विशेष निरीक्षण अभियान में ये नौ हजार शिक्षक अनुपस्थित पाए गए थे।
यूपी के सभी ब्लॉकों के 30 हजार स्कूलों में चला था निरीक्षण अभियान
आपको बताते चलें कि बीते सवा महीने तक उत्तर प्रदेश के सभी ब्लाकों में प्रदेश सरकार के निर्देश पर यह निरीक्षण अभियान चलाया गया था, जिसमें स्कूलों और शिक्षकों की हकीकत का पता चला। जिसके बाद अब इन दोषी शिक्षकों को विभाग की ओर से कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा गया है। इसके साथ ही जांच के दौरान ड्यूटी के गायब मिले इन शिक्षकों का वेतन काटने की तैयारी की जा रही है। आपको बता दें कि स्कूल शिक्षा के महानिदेशक विजय किरन आनंद के निर्देश के बाद यूपी के सभी जिलों में तैनात बेसिक शिक्षा अधिकारियों ने जांच में अनुपस्थित पाए गए सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है। जानकारी के लिए बताते चलें कि प्रदेश के सभी ब्लाकों में 1 सितंबर से लेकर 20 अक्टूबर तक 30 हजार स्कूलों का निरीक्षण खंड शिक्षा अधिकारियों की ओर से किया गया था।
अभियान के दौरान अनुपस्थित पाए गए थे शिक्षक
प्रदेश सरकार के निर्देश पर चले अभियान में सभी को कम से कम 40-40 विद्यालयों का निरीक्षण करना अनिवार्य किया गया था। इस अभियान के चलते सबसे ज्यादा यूपी के बलिया व आजमगढ़ में ढाई-ढाई सौ से अधिक शिक्षक अनुपस्थित पाए गए। इसके साथ ही अभियान के दौरान विद्यालयों के छात्रों की उपस्थिति, वहां के कायाकल्प अभियान के साथ निपुण भारत मिशन की प्रगति की जांच की गई थी।
रजिस्टर पर उपस्थित दिखाकर अनुपस्थित मिले थे शिक्षक
पूर्व में प्रदेश के परिषदीय स्कूलों की जांच के लिए गठित की गई जिला टास्क फोर्स के साथ ब्लॉक टास्क फोर्स की ओऱ से संयुक्त अभियान चलाय़ा गया था। इस संयुक्त अभियान सामने आया कि अनुपस्थित पाए गए शिक्षकों ने छुट्टी के लिए तय समय तक ऑनलाइन आवेदन भी नहीं किया था। इतना ही नहीं, इस बीच यह भी पता चला कि तमाम शिक्षक उपस्थिति रजिस्टर पर हाजिरी लगाकर अनुपस्थित थे।