ग्रेटर नोएडा वेस्ट से एक ऐसी खबर आई है जिसने हर माता-पिता के दिल को झकझोर दिया है. यहां 10वीं कक्षा में पढ़ने वाली एक 16 साल की छात्रा ने अपनी सोसाइटी की 8वीं मंजिल से कूदकर आत्महत्या कर ली. यह घटना बिसरख थाना क्षेत्र अंतर्गत गौर सिटी की बताई जा रही है. छात्रा ने बीती रात करीब 2 बजकर 15 मिनट के आस-पास 8वीं मंजिल से छलांग लगाकर अपनी जान दे दी, जिससे पूरे इलाके में हड़कंप मच गया.
ये तस्वीर कनिष्का सोलंकी की है. 16 वर्षीय कनिष्का ग्रेटर नोएडा के गगन पब्लिक स्कूल में कक्षा 10वीं की छात्रा थी. इन दिनों स्कूल में हाफ ईयरली परीक्षाएं चल रही थीं. 22 दिसंबर, सोमवार को कनिष्का परीक्षा देने स्कूल गई थी. इस दौरान वह अपने साथ मोबाइल फोन लेकर गई थी. परीक्षा के दौरान एक टीचर ने कनिष्का के पास मोबाइल फोन देख लिया और कनिष्का सोलंकी पर प्री-बोर्ड परीक्षा के दौरान AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) के जरिए नकल करने का आरोप लगा कर टीचर ने उसे डांटा और परिजनों को स्कूल बुलाकर इसकी शिकायत की.
आरोप है कि शिक्षकों और प्रिंसिपल ने उसे सबके सामने अपमानित किया, उसका फोन जब्त किया और उस पर मानसिक दबाव बनाया.
अपनी बेटी की मौत छात्रा के बाद माता-पिता टूट चुके हैं और पूरे मामले को लेकर बिसरख थाने में शिकायत दर्ज कराई है. उनका आरोप सीधा स्कूल प्रशासन पर है कि उनकी बेटी को स्कूल में मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया, जिससे वह गहरे तनाव में चली गई और अंततः यह खौफनाक कदम उठाने को मजबूर हुई.
उन्होंने स्कूल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी बेटी को सबके सामने दोषी ठहराया गया और उसका आत्मसम्मान तोड़ा गया. जिससे आहत हो कर उसने रात के 2:15 बजे यह खौफनाक कदम उठा लिया.
वहीं, गगन पब्लिक स्कूल की प्रधानाचार्य पारुल सरदाना का कहना है कि जो भी आरोप लगाया जा रहे हैं. वह सरासर गलत है. किसी भी बच्चे का मानसिक उत्पीड़न नहीं किया जाता है. स्कूल में एग्जाम चल रहे थे, बच्ची उस दौरान फोन का इतेमाल कर रही थी.
बहरहाल, बिसरख पुलिस मामले की गंभीरता से जांच कर रही है. पुलिस अधिकारियों का कहना है कि शिकायत मिली है और जांच की जा रही है. स्कूल के अध्यापकों से पूछताछ की गई है और स्कूल के सीसीटीवी फुटेज को कब्जे में लिया गया है.
यह एनसीआर में हुई यह पहली घटना नही है, इससे पहले दिल्ली के एक नामी स्कूल की 9वीं कक्षा की छात्रा ने आत्महत्या कर ली थी. माता-पिता का आरोप था कि दो शिक्षकों ने उसे फेल करने की धमकी दी थी और उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित किया था. इस मामले में पुलिस ने आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया था, लेकिन सबसे बड़ा सवाल—क्या हम अपने बच्चों को इतना मजबूत बना पा रहे हैं कि वे अपनी गलतियों को स्वीकार कर सकें, न कि उनसे डरकर जान दे दें?










