UP Congress Uttar Pradesh News: चुनावों के समय तो सभी पार्टियों को आधी आबादी यानी महिलाओं की याद आती है, लेकिन जब किए गए वादों पर अमल करने की बात आती है तो सभी पीछे हट जाते हैं। महिलाओं को राज्य विधानसभाओं और लोकसभा में 33 प्रतिशत आरक्षण की बात तो बाद में पहले पार्टियों के अंदर ही उनकी भागीदारी को देखा जाए तो निराशा हाथ लगती है।
कांग्रेस जो उत्तर प्रदेश में 2022 के विधानसभा चुनावों में बढ़ चढ़कर महिलाओं को प्रतिनिधित्व देने की वकालत कर रही थी वही अब महिलाओं से किया वादा भूलती हुई दिखाई दे रही है। कांग्रेस जो महिला आरक्षण के लिए सबसे पहले कदम बढ़ाने का दावा करती है वही अब पीछे हटती हुई दिखाई दे रही है।
यूपी कांग्रेस ने 130 सदस्यीय कमेटी में सिर्फ 3 महिलाओं को जगह दी है। विधानसभा चुनाव के समय कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने ‘लड़की हूं लड़ सकती हूं’ का नारा दिया और ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को टिकट देने की बात कही। वहीं अब पार्टी के हालिया कदम से सवाल उठने लगे हैं।
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सवाल है कि पार्टियां अपने संगठन में महिलाओं को प्रतिनिधित्व देने से क्यों कतराती हैं। महिलाओं के लिए आरक्षण क्या सिर्फ चुनावी जुमलेबाजी है। आखिर कब इसे धरातल पर उतारा जाएगा। महिला सशक्तिकरण की बातें कहां चली गईं। क्या सिर्फ वोट लेने के लिए ही इसकी चर्चा होगी।
समिति में तीन महिलाएं
समाचार एजेंसी आईएएनएस की एक रिपोर्ट के मुताबिक यूपी में कांग्रेस ने दो दिन पहले घोषित अपनी 130 सदस्यीय राज्य कार्यकारिणी में महिलाओं को पर्याप्त प्रतिनिधित्व देने की भी जहमत नहीं उठाई है। समिति में केवल तीन महिलाएं हैं जो कि मात्र 2.3 प्रतिशत हैं। ये सभी तीन महिलाएं गैर कांग्रेसी बैकग्राउंड से आती हैं।
सरिता पटेल जिन्हें महासचिव नियुक्त किया गया है वे पहले सीपीआई-एमएल से थीं, जबकि अर्चना राठौड़ को सचिव पद मिला है जो प्रगतिशील समाजवादी पार्टी से आई हैं। पूर्वी वर्मा को भी सचिव पद पर नियुक्ति मिली है। वे भी कांग्रेस में शामिल होने से पहले समाजवादी पार्टी में थीं।
नेताओं ने की आलोचना
वहीं कई नेताओं ने पार्टी के इस कदम की आलोचना की है। एक दिग्गज नेता ने इसे शर्मनाक बताया। एक अन्य नेता ने कहा कि इससे पता चलता है कि कांग्रेस नेतृत्व महिलाओं को 40 प्रतिशत आरक्षण के अपने वादे पर खरा नहीं उतरा है।
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