Greater Noida News: नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण के अधिसूचित क्षेत्रों में अब योजनाबद्ध विकास के साथ-साथ गतिविधियों को अनुमति देने की तैयारी शुरू हो गई है। मास्टर प्लान और बफर जोन के बाहर भी अब विकास गतिविधियों की संभावनाओं पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। शासन स्तर पर विचार चल रहा है। यदि सहमति बनती है तो अधिसूचित क्षेत्र में विकास की बयार आएगी।
समिति का हुआ गठन
उत्तर प्रदेश शासन के नियोजन विभाग ने एक समिति का गठन किया है जिसकी अध्यक्षता अपर मुख्य सचिव (नियोजन) कर रहे हैं। यह समिति अधिसूचित क्षेत्रों में भूमि के उपयोग और विकास कार्यों के संबंध में नीतिगत ढील देने की संभावनाओं पर रिपोर्ट तैयार करेगी।
10 फीसद ही हो पाया है उपयोग
वर्तमान में नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण को मिलाकर लगभग चार लाख हेक्टेयर क्षेत्र अधिसूचित है। हालांकि, अब तक केवल डेढ़ लाख वर्ग मीटर क्षेत्र पर ही मास्टर प्लान के तहत विकास कार्य किए गए है। नियोजित विकास के दृष्टिकोण से देखे तो अभी तक सिर्फ 10 फीसद भूमि का ही प्रभावी उपयोग हो सका है। विकास की गति को बढ़ाने के लिए सरकार अधिसूचित क्षेत्रों में कुछ शर्तों के साथ ढील देने पर विचार कर रही है।
प्राधिकरण की अनापत्ति जरूरी
सूत्रों के अनुसार समिति की रिपोर्ट के आधार पर सरकार यह तय करेगी कि किन परिस्थितियों में अधिसूचित क्षेत्र में विकास की अनुमति दी जा सकती है। प्राधिकरण से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) प्राप्त करने के बाद निर्धारित नियमों के तहत निर्माण या अन्य गतिविधियों की अनुमति मिल सकती है।
बड़ी राहत मिलने की उम्मीद
इससे उन लोगों को बड़ी राहत मिलेगी जिनकी भूमि अधिसूचित क्षेत्र में है लेकिन मास्टर प्लान या बफर जोन के दायरे से बाहर है। जो वर्षों से अपने भूखंड पर विकास कार्य नहीं कर पा रहे है। यह नियम लागू होने पर ऐसे लोगों को बड़ी राहत मिलेगी।
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