Women Buy 4 crore fake Jewellery Daily in Rajasthan: महिलाओं की ओर से आम दिनों में काम लाए जाने वाले चांदी के गहने पायल, छल्ला, कड़ा, बिछिया, घुंघरू में खोट का मामला सामने आया है। हमारे घरों में माताएं-बहनें अक्सर शहर की गली-मोहल्ले से चांदी के गहने खरीदती हैं। क्या होगा जब उनको पता चलेगा कि यह गहने चांदी के नहीं सीसे-जस्ते और एल्युमिनियम जैसी धातुओं से मिलकर बने हैं। जयपुर में सर्राफा ट्रेडर्स कमेटी की लैब में जांच के लिए लाए गए 12 हजार से अधिक गहनों की जांच के बाद इस मामले का खुलासा हुआ है।
जांच में सामने आया कि कुछ गहनों में चांदी न के बराबर थी। जबकि 90 प्रतिशत गहनों में चांदी मानक से कम पाई गई। बता दें कि आजकल बाजारों में मिल रहे चांदी के गहनों में जस्ते और एल्युमिनियम की मिलावट की जा रही है। कुछ सर्राफा कारोबारी तो गिलट के गहने चांदी के बताकर बेच रहे हैं। ज्वैलर ये सभी गहने आगरा, मथुरा, नाथद्वारा और राजकोट से मंगाते हैं। इन गहनों को अगर वापस बेचा जाता है तो महिलाओं को आधे पैसे भी नहीं मिलते। वहीं भारतीय मानक ब्यूरो केवल सिल्वर ज्वैलरी हाॅलमार्क के लिए लाइसेंस लेने वाले ज्वैलर्स के गहनों की जांच करता है। ब्यूरो की मानें तो सभी लोगों को हाॅलमार्क चांदी के गहने ही खरीदने चाहिए ताकि वे ठगी का शिकार ना हो।
गहने बेचने जाएं तो आधे पैसे भी नहीं मिलेंगे
अनुमान के अनुसार प्रदेश में हर रोज एक हजार किलो के आसपास चांदी के गहने बिकते हैं। इनकी अनुमानित कीमत कुल मिलाकर 10 करोड़ के आसपास बैठती है। इनमें से 70 प्रतिशत चांदी के गहनों में शुद्धता 10 से 80 प्रतिशत के बीच ही रहती है। ऐसे में रोजाना महिलाएं 3 से 4 करोड़ के चांदी के नकली गहने खरीद लेती है। वहीं सर्राफा व्यापार संघ के अधिकारियों की मानें तो चांदी में मिलावट को रोकने के लिए सरकार के पास कोई मशीनरी नहीं है। नाप-तौल के अधिकारी जांच के लिए आते हैं लेकिन चांदी की माप तौल तक ही रहती है।
ये भी पढ़ेंः इस सरकारी नौकरी में महिलाओं को मिलेगा 50% रिजर्वेशन, राजस्थान सरकार का बड़ा फैसला
ये भी पढ़ेंः सरकार की संवेदनशीलता लाई रंग, 6 और पाक विस्थापितों को मिली भारतीय नागरिकता