केजी श्रीवत्सन
Rajasthan News : राजस्थान हाई कोर्ट की खंडपीठ के न्यायाधीश इंद्रजीत सिंह और न्यायाधीश प्रमिल माथुर ने राजस्थान हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार को नोटिस जारी किया है। बताया जा रहा है कि वरिष्ठ अधिवक्ताओं की नियुक्ति नहीं करने के मामले में कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। याचिकाकर्ता एडवोकेट पूनम चंद भंडारी ने न्यायालय को बताया कि 24 जनवरी 2022 के पश्चात राजस्थान हाई कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ताओं की नियुक्तियां नहीं की है जबकि हाई कोर्ट के दिशा निर्देशों के अनुसार हर 2 वर्ष में वरिष्ठ अधिवक्ताओं की नियुक्तियां की जानी चाहिए।
हर वर्ष अधिवक्ताओं की नियुक्तियां की जाए
हाई कोर्ट ने भी नई गाइड लाइन्स जारी की है। उनके अनुसार हर वर्ष वरिष्ठ अधिवक्ताओं की नियुक्तियां की जानी चाहिए। उन्होंने नए नियम तो बनाए हैं लेकिन राजस्थान हाई कोर्ट ने अभी तक सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों के अनुसार नियम नहीं बनाए हैं। इस मामले में राजस्थान हाई कोर्ट के अधिवक्ता विमल चौधरी, पूनमचंद भंडारी, इंद्रजीत कथूरिया, डाक्टर टी एन शर्मा समेत सैकड़ों वकील नियमित रूप से पिछले साढ़े तीन साल से कोर्ट के बाहर महात्मा गांधी प्रतिमा के सामने धरना दे रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन
बता दें कि पिछली बार 24 जनवरी 2022 में कुछ अधिवक्ताओं की नियुक्ति गई की गई थी। उस दौरान नियुक्तियों में धांधली के आरोप लगे थे। बताया जाता है कि तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश और वर्तमान मुख्य न्यायाधीश एमएम श्रीवास्तव बिल्कुल नए थे। उन्हें यहां के अधिवक्ताओं की जानकारी नहीं थी लेकिन 3 वर्ष से अधिक समय हो गया है और वरिष्ठ अधिवक्ताओं की नियुक्तियां नहीं की गई है। इससे वकीलों में रोष है। वरिष्ठ अधिवक्ताओं की नियुक्त के मामले में नए नियम सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देश के अनुसार भी नहीं बनाए गए हैं।
चार सप्ताह का दिया समय
राजस्थान हाई कोर्ट की खंडपीठ के न्यायाधीश इंद्रजीत सिंह और न्यायाधीश प्रमिल माथुर ने याचिकाकर्ता की याचिका को स्वीकार किया है। याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश ने कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को कारण बताओ नोटिस जारी कर चार सप्ताह में रिपोर्ट देने का आदेश दिया है।