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राजस्थान

Rajasthan: गुर्जर आरक्षण पर सरकार की बड़ी पहल, MBC की बाकी जातियां विरोध में उतरीं

राजस्थान में गुर्जर समुदाय की महा पंचायत के बाद राज्य सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। राज्य सरकार ने मंत्रियों की एक सब-कमेटी का गठन किया है। जो उनके वादों को पूरा करने जैसे अहम मुद्दों पर काम करेगी।

Author Written By: kj.srivatsan Author Edited By : Deepti Sharma Updated: Jul 1, 2025 17:51

राजस्थान में गुर्जर समुदाय की महा पंचायत के बाद राज्य सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए मंत्रियों की एक सब-कमेटी का गठन किया है। यह कमेटी गुर्जर आरक्षण आंदोलन के दौरान किए गए वादों को पूरा करने और 5% एमबीसी आरक्षण को केंद्र की 9वीं अनुसूची में शामिल कराने जैसे अहम मुद्दों पर काम करेगी। इस सब-कमेटी में मंत्री जवाहर सिंह बेढम, मंत्री जोगाराम पटेल और सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत को शामिल किया गया है। पिछले महीने भरतपुर के पीलूपुरा में हुई महा पंचायत के बाद से सरकार पर दबाव बढ़ा था। इसके जवाब में यह सब-कमेटी बनाई गई है, जो गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के प्रतिनिधियों से बातचीत कर समाधान की दिशा में काम करेगी।

सरकार के वादे

  • 5% MBC रिजर्वेशन को 9वीं अनुसूची में शामिल करने के लिए कैबिनेट प्रस्ताव केंद्र को भेजा।
  • आंदोलन के दौरान दर्ज मुकदमों का निस्तारण 2023 की सहमति के तहत करना।
  • लंबित भर्तियों में रोस्टर प्रणाली से जुड़ी समस्याओं का 60 दिन में समाधान।
  • शहीद रूप नारायण गुर्जर के परिजन को अनुकंपा नियुक्ति।
  • देवनारायण योजना सहित अन्य योजनाओं की मासिक समीक्षा।

अब जबकि सरकार ने मंत्रियों की सब कमेटी बना दी है तो इस कमेटी में शामिल समाज कल्याण मंत्री अविनाश गहलोत के मुताबिक, सरकार ने गुर्जरों से किए गए वादों को निभाने की मंशा से यह कमेटी बनाई है। मैं सामाजिक न्याय मंत्री के तौर पर इसका हिस्सा हूं और हर संभव प्रयास करूंगा कि इन वादों को पूरा किया जाए। आज हमारी पहली बैठक हो रही है और इसके बाद अगली बैठक में गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के प्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया जाएगा।

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दूसरी ओर असंतुष्ट हैं MBC की अन्य जातियां

हालांकि, गुर्जर समुदाय सरकार की पहल से संतुष्ट नजर आ रहा है, लेकिन एमबीसी में शामिल अन्य जातियों, जैसे कालबेलिया, देवासी, रेबारी, नट, राईका का गुस्सा फूट पड़ा है। इन जातियों के अनुसार, गुर्जरों की तरह आरक्षण का लाभ नहीं मिल रहा है। इन समुदायों ने DNT (घुमंतु जाति) संघर्ष समिति के बैनर तले जयपुर में जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि इन जातियों से कोई भी व्यक्ति अब तक आईपीएस या आईएएस जैसे उच्च पदों तक नहीं पहुंच पाया है। रेनके आयोग और इदाते आयोग ने भी इन समुदायों की स्थिति सुधारने के लिए कई सिफारिशें की थीं, लेकिन वे अभी तक कागजों में ही दबकर रह गई हैं।

पशुपालक और DNT संघर्ष समिति के अध्यक्ष लाल जी राईका, अध्यक्ष, DNT संघर्ष समिति का कहना है कि हमारी 10 सूत्री मांगें हैं। सरकार को चाहिए कि हमारे प्रतिनिधियों से बात करें। हमने पाली और जोधपुर में आंदोलन किया, लेकिन सरकार ने ध्यान नहीं दिया। अब हम इसे घर-घर और गांव-गांव ले जाएंगे। हमारी आबादी 1.23 करोड़ है, लेकिन हमेशा अनदेखी होती रही है।

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DNT समुदाय की मांगों को संतुलित रखना बड़ी चुनौती

गुर्जर समुदाय के लिए बनाई गई सब-कमेटी एक अहम पहल है, लेकिन एमबीसी के अंतर्गत आने वाली बाकी जातियों के असंतोष को भी नजरंदाज नहीं किया जा सकता। अब सभी की निगाहें इस पर टिकी हैं कि सरकार गुर्जरों को केंद्र की 9वीं अनुसूची में आरक्षण दिलाने के अपने वादे को कैसे और कब तक पूरा करती है। साथ ही, MBC (अति पिछड़ा वर्ग) की अन्य जातियों की नाराजगी को कैसे संभालती है और यही आने वाले समय में सामाजिक संतुलन की असली कसौटी होगी।

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First published on: Jul 01, 2025 05:51 PM

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