राजस्थान, जहां की धरती वीरों की कहानियां सुनाती है, जहां हर किला और हर मंदिर इतिहास की गवाही देता है वहां का स्थापना दिवस इस बार एक नए अंदाज में मनाया जाएगा। सरकार ने तय किया है कि अब राजस्थान दिवस हिन्दू नव वर्ष चैत्र प्रतिपदा पर मनाया जाएगा। कुछ लोग इसे खुशी का मौका मान रहे हैं तो कुछ सवाल उठा रहे हैं। लेकिन इन सबके बीच आम जनता को बस यही उम्मीद है कि यह दिन उनके लिए नई खुशखबरी और तरक्की की सौगात लेकर आएगा।
राजस्थान दिवस का नया स्वरूप और भव्य आयोजन
राजस्थान की भजनलाल सरकार ने इस साल राजस्थान दिवस को विशेष रूप से चैत्र शुक्ल प्रतिपदा पर मनाने का फैसला किया है। राज्य सरकार ने इसे भव्य रूप से मनाने के लिए पूरे हफ्ते तक चलने वाले कई कार्यक्रमों की घोषणा कर दी है। इन आयोजनों के तहत किसानों, युवाओं, महिलाओं और गरीबों के लिए कई कल्याणकारी योजनाओं का ऐलान किया जाएगा। राज्य के देवस्थान विभाग ने इस अवसर पर सभी प्रमुख मंदिरों की विशेष सजावट और पूजा-अर्चना करवाने की भी योजना बनाई है। इसके अलावा, 30 मार्च को आयोजित होने वाले मुख्य समारोह में ‘विकसित राजस्थान’ की शपथ भी दिलाई जाएगी। खास बात यह है कि इस बार राजस्थान दिवस केवल जयपुर तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि पूरे राज्य के कई संभागों में अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा खुद इन आयोजनों में सक्रिय रूप से भाग लेंगे। हालांकि विपक्ष ने इस फैसले पर नाराजगी जाहिर की है और आरोप लगाया है कि सरकार ने विपक्ष को इस आयोजन की कोई सूचना नहीं दी है और न ही कार्यक्रम में उनकी कोई भागीदारी सुनिश्चित की है।
राज्य सरकार राजस्थान दिवस (30 मार्च, 2025 चैत्र शुक्ल प्रतिपदा) वृहद् स्तर पर मना रही है।@BhajanlalBjp#हर_घर_खुशहाली#आपणो_अग्रणी_राजस्थान pic.twitter.com/i1dn3eyhMH
— CMO Rajasthan (@RajCMO) March 25, 2025
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विपक्ष की नाराजगी और सरकार पर सवाल
सरकार के इस निर्णय पर विपक्ष के कई नेता खुलकर विरोध जता रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि राजस्थान दिवस का आयोजन पूरे प्रदेश के गौरव का प्रतीक होता है और इसमें सभी लोगों को समान रूप से भागीदार बनाना चाहिए। उन्होंने सरकार से सवाल किया कि अगर राजस्थान दिवस को तिथि के आधार पर मनाया जा सकता है तो क्या मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा अपना जन्मदिन भी तिथि के अनुसार मनाएंगे? उन्होंने इस परंपरा को गलत बताते हुए कहा कि इससे बच्चों को हर साल अलग-अलग तारीखों पर राजस्थान दिवस याद करना पड़ेगा जिससे भ्रम की स्थिति पैदा होगी। इसी तरह प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने भी इस फैसले को तानाशाही करार देते हुए कहा कि सरकार को इस तरह के महत्वपूर्ण आयोजनों से पहले सभी दलों से विचार-विमर्श करना चाहिए था।
हफ्तेभर के विशेष कार्यक्रम और सरकारी योजनाएं
राजस्थान सरकार ने 25 मार्च से ही राजस्थान दिवस समारोह की शुरुआत कर दी है। इस हफ्तेभर के आयोजन के तहत 25 मार्च को बाड़मेर में मातृ वंदन को समर्पित ‘महिला अवदान’ कार्यक्रम आयोजित किया गया। 26 मार्च को बीकानेर में किसानों के लिए एक सम्मेलन होगा जबकि 27 मार्च को भरतपुर में गरीब और अंत्योदय से जुड़े मुख्य कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। इसके अलावा 28 मार्च को भीलवाड़ा में ‘सुशासन सप्ताह’ मनाया जाएगा जिससे आम लोगों को सरकारी योजनाओं का अधिक लाभ मिल सके। 30 मार्च को राज्य स्तरीय सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन होगा जिसमें राजस्थान की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को प्रदर्शित किया जाएगा। वहीं 31 मार्च को राज्य स्तरीय निवेश उत्सव भी आयोजित किया जाएगा जिससे प्रदेश में नए उद्योगों को प्रोत्साहित करने की योजना बनाई गई है। राजस्थान के विधि मंत्री जोगाराम पटेल ने इस अवसर पर कहा कि राज्य का गठन भी चैत्र प्रतिपदा के दिन हुआ था और उसी परंपरा को ध्यान में रखते हुए राजस्थान दिवस को इस दिन मनाने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा कि पूर्व सरकारों की मानसिकता नकारात्मक रही है और इसीलिए वे इस फैसले पर सवाल उठा रही हैं।
सरकार की तैयारी और जनता की उम्मीदें
हालांकि इन राजनीतिक बहसों के बीच राज्य सरकार इस आयोजन को यादगार बनाने के लिए पूरी तरह से प्रयासरत है। सरकार का मानना है कि इस तरह के भव्य आयोजन न केवल राजस्थान की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान को मजबूत करेंगे, बल्कि प्रदेश के विकास के नए अवसर भी प्रदान करेंगे। राजस्थान के लोग भी इस कार्यक्रम से बड़ी उम्मीदें लगा रहे हैं खासकर इस साल के बजट के बाद राज्य के नागरिकों को कई नई सौगातें मिलने की उम्मीद है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि यह नई परंपरा कितनी सफल होती है और इसे जनता से कितना समर्थन मिलता है।