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राजस्थान

राजस्थान BJP में सिफारिशी नेताओं की एंट्री, हुई फजीहत, प्रदेश अध्यक्ष बोले- ऐसा कभी नहीं होता मैं जांच कराऊंगा

जयपुर शहर भाजपा में कार्यकारिणी की लिस्ट जारी होने पर विवाद हो गया। जिसमें अध्यक्ष अमित गोयल ने 34 नेताओं की लिस्ट जारी की, जिसमें 22 सिफारिशी थे। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और डिप्टी सीएम दीया कुमारी के नामों की भी सिफारिश की गई थी।

Author Written By: kj.srivatsan Author Edited By : Deepti Sharma Updated: Aug 2, 2025 16:56

राजस्थान बीजेपी में एक बार फिर ‘सिफारिशी राजनीति’ सुर्खियों में है। जयपुर शहर बीजेपी की नई कार्यकारिणी लिस्ट ने पार्टी के अंदर भूचाल ला दिया। इस लिस्ट में सिर्फ पदाधिकारियों के नाम ही नहीं, बल्कि यह भी लिखा गया कि किस बड़े नेता की सिफारिश पर किसे कार्यकारिणी में पदाधिकारी बनाया गया है। अब जब लिस्ट वायरल हुई तो न केवल उसे आधे घंटे के भीतर ही वापस ले लिया गया। बल्कि राजस्थान बीजेपी के अध्यक्ष यह भी कह रहे हैं इसकी जांच करवाई जाएगी।

इस लिस्ट को देखकर बीजेपी के कार्यकर्ता भी चौंक गए। क्योंकि जिन्होंने सालों से पार्टी के लिए पसीना बहाया, उनका नाम तक नहीं है। जिनका ‘कनेक्शन’ मजबूत है वो सीधे पदाधिकारी बन गए। लिस्ट से फजिया टू आधे घंटे के भीतर ही इस सोशल मीडिया से हटा भी लिया गया। अब राजस्थान बीजेपी अध्यक्ष मदन राठौड़ के मुताबिक, ऐसा कभी नहीं हुआ है और इसकी जांच करवाई जाएगी।

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सोशल मीडिया पर दी बधाई

सोशल मीडिया पर खुद जयपुर शहर के भाजपा अध्यक्ष अमित गोयल ने इस लिस्ट को डालकर बकरीद में अपनी टीम के नए साथियों को बधाई भी दे डाली। इस लिस्ट में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, डिप्टी सीएम दीया कुमारी राजवर्धन सिंह राठौड़ और कई कैबिनेट मंत्रियों, सांसदों और विधायकों के नाम भी ‘सिफारिशकर्ता’ के रूप में लिखे गए हैं। पार्टी परंपरा के मुताबिक, किसी भी स्तर की लिस्ट में सिर्फ पदाधिकारी का नाम और पद होता है। ऐसे में सवाल उठे हैं कि गोपनीय जानकारी को सार्वजनिक क्यों किया गया?

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विरोध बढ़ते ही लिस्ट हुई डिलीट

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़,ने कहा कि ये मानवीय भूल है। लिस्ट में जो सिफारिश वाले कॉलम थे, वो पब्लिक करने के लिए नहीं थे। ऐसा कभी नहीं होता है। इस मामले में शहर अध्यक्ष से बात करेंगे, लेकिन यह भी कह रहे हैं की यह लिस्ट सही और आधिकारिक नहीं थी। बहरहाल, विरोध बढ़ते ही अमित गोयल ने लिस्ट डिलीट कर दी और सफाई दी कि ऑपरेटर की गलती थी।

पहले भी हो चुकी है ऐसी गलती

इससे पहले यही ‘गलती’ युवा मोर्चा की लिस्ट में भी हो चुकी है और हर बार जिम्मेदारी कंप्यूटर ऑपरेटर पर डाल दी जाती है। लेकिन अब बड़ा सवाल ये है कि क्या राजस्थान बीजेपी वाकई ‘सिफारिशी क्लब’ बन चुकी है? जहां मेहनत नहीं, बल्कि नेता जी की चिट्ठी ही टिकट है और पदाधिकारी बनने की है। अगर जयपुर शहर की लिस्ट का यही हाल है तो आने वाली प्रदेश कार्यकारिणी में भी ‘सिफारिश’ ही सबसे बड़ा संगठन बन जाएगी।

ये भी पढ़ें- जयपुर बीजेपी में ‘सिफारिशी कार्यकारिणी’ का तमाशा, विवाद हुआ तो डिलीट की लिस्ट

First published on: Aug 02, 2025 04:45 PM

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